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लहू से लतपथ,  उम्मीदों का कोना है,
कि मैं घडी भर हूँ जागा, उम्र भर सोना है,

मिला लुटा हर लम्हा, जीवन का तिनका सा,
लबों पे रख कर लफ़्ज़ों को, जी भर रोना है,

छुड़ा के दामन अब वो दोस्त, अपना बदला,
मिला के आँखों का गम, सारा आलम धोना है,

जिगर में रखता हूँ, जलता-बुझता शोला फिर भी,
तेरी ख़ुशी की खातिर, दुःख अपना संजोना है,

कभी-कभी जब तबियत, दिल की बिगड़ी मेरे यारों,
निकाल साँसों को, अपना दम खुद ही खोना है..........

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Comment by अरुन 'अनन्त' on July 21, 2012 at 11:59am

वीनस भाई हौंसल आफजाई के लिए शुक्रिया.......

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 21, 2012 at 11:58am

आदरणीय उमाशंकर जी आपकी टिप्पणियों से मुझे बल मिला, धन्यवाद.........

Comment by वीनस केसरी on July 21, 2012 at 3:44am

वाह एक और सुन्दर प्रयास

बधाई

Comment by UMASHANKER MISHRA on July 20, 2012 at 11:41pm

बेहतरीन गज़ल है

लहू से लतपथ,  उम्मीदों का कोना है,
कि मैं घडी भर हूँ जागा, उम्र भर सोना है, उम्दा भाव प्रिय अरुण जी हार्दिक बधाई बहुत सुन्दर

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 20, 2012 at 10:53am

आदरणीय बागी जी शुक्रिया

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 20, 2012 at 10:52am

मित्र आशीष धन्यवाद.

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 20, 2012 at 10:51am

भ्रमर जी स्नेह के लिए आभार.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 20, 2012 at 8:22am

खुबसूरत ख्याल , इस प्रयास पर बधाई |

Comment by आशीष यादव on July 20, 2012 at 12:44am

सुन्दर भावों की रचना। बधाई स्वीकारें

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 20, 2012 at 12:32am

जिगर में रखता हूँ, जलता-बुझता शोला फिर भी,
तेरी ख़ुशी की खातिर, दुःख अपना संजोना है, 

प्रिय अनंत जी बहुत सुन्दर भाव ...अपने लिए जिए तो क्या जिए तू जी ऐ दिल ज़माने के लिए  ...बधाई 

लथपथ 
भ्रमर ५ 

 

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