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ये वीरों का आँगन है भारत सुहाना

ये वीरों का आँगन है भारत सुहाना
है उसके लिए ही ये दिल आशिकाना

था इतिहास में जो परिंदा सुनहरा, हिमालय जहाँ अब भी देता है पहरा
जहाँ चाँद बनता है बच्चों का मामा, वो भारत है मेरा वतन आशियाना

ये वीरों का आँगन है भारत सुहाना
है उसके लिए ही ये दिल आशिकाना

यहाँ माँ हैं नदियाँ बहें नित ही कल कल, भरण करती सबका सँवारे वही कल
यहाँ पत्थरों में है भगवान अब भी , ये साधू औ संतों का इक है ठिकाना

ये वीरों का आँगन है भारत सुहाना
है उसके लिए ही ये दिल आशिकाना

है बोली अलग बेशभूषा अलग है, जमीं एक करने को इन्सां सजग  है
भले सबकी दुनिया अलग सी दिखेगी, वतन का मगर एक ही है तराना

ये वीरों का आँगन है भारत सुहाना
है उसके लिए ही ये दिल आशिकाना

जहाँ रिश्तों नातों की कीमत है अब भी, जहाँ हर दिलों में मोहब्बत है अब भी
जहाँ स्वाभिमानी स्वयं सर कटा दे, जहाँ याद लोगों को वादे निभाना

ये वीरों का आँगन है भारत सुहाना
है उसके लिए ही ये दिल आशिकाना

जहाँ माएं भी जंग लड़ने को आई , बनी काली बदली वो शत्रु पे छाई
जहाँ औरतों का हो सम्मान अब भी, जहाँ है वो माता का ममता बहाना

ये वीरों का आँगन है भारत सुहाना
है उसके लिए ही ये दिल आशिकाना

जहाँ वीर हँस हँस के फांसी पे झूले, वतन की मोहब्बत कभी भी न भूले
है कुर्बान खुद को किया इस वतन पर, कहा इसकी माटी का टीका लगाना

ये वीरों का आँगन है भारत सुहाना
है उसके लिए ही ये दिल आशिकाना

जहाँ तीज त्यौहार हर-दम मनाते, सभी एक दूजे से मिलते मिलाते
है आँखों से झरता ख़ुशी वाला झरना,  नहीं कोई ढूंढें ख़ुशी का बहाना

ये वीरों का आँगन है भारत सुहाना
है उसके लिए ही ये दिल आशिकाना

जहाँ पे अदब ही था आदम का गहना, थी मीठी सी बोली था मीठा सा कहना
जहाँ थी नज़र में अदा भी हया भी, बहुत खूबसूरत था गुजरा ज़माना

ये वीरों का आँगन है भारत सुहाना
है उसके लिए ही ये दिल आशिकाना

यहाँ अब तो गर्दिश है मातम है लोगो, बड़ा बदला बदला सा आलम है लोगो
है भ्रष्टों का छाया है काला सा साया, पड़ेगा हमें कल का भारत बनाना

ये वीरों का आँगन है भारत सुहाना
है उसके लिए ही ये दिल आशिकाना


संदीप पटेल "दीप"

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Comment

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Comment by Ashok Kumar Raktale on July 26, 2012 at 8:20pm

सदीप जी

         सादर, कारगिल दिवस पर, देश प्रेम पर रची सुन्दर रचना. बधाई.

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 26, 2012 at 4:49pm

जहाँ रिश्तों नातों की कीमत है अब भी, जहाँ हर दिलों में मोहब्बत है अब भी 
जहाँ स्वाभिमानी स्वयं सर कटा दे, जहाँ याद लोगों को वादे निभाना 

ये वीरों का आँगन है भारत सुहाना 
है उसके लिए ही ये दिल आशिकाना 

प्रिय संदीप जी काविले तारीफ़ रचना ..सर ऊंचा हो जाता है ये सब सुन सोच देख ..अपना भारत स्वर्ग से सुन्दर ....काश आप की बातें जमीनी हकीकत बन जाएँ 

जय हिंद 
जय श्री राधे 
भ्रमर ५ 

 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 26, 2012 at 10:25am

आदरणीया राजेश कुमारी जी आपको ये गीत पसंद आया मेरा लेखन सफल हुआ
आपका बहुत बहुत आभारी हूँ
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 25, 2012 at 2:14pm

देश भक्ति ,और सम्मान कि भावना से ओतप्रोत गीत बहुत सुन्दर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 

कृपया ध्यान दे...

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