पहले अपने शब्द टटोलो बाबाजी
फिर तुम अपना श्रीमुख खोलो बाबाजी
साहित्य के इस मंच पे गर कुछ कहना है
साहित्यिक भाषा में बोलो बाबाजी
जीवन में सुख दुःख का सीधा मतलब है
थोड़ा हँस लो, थोड़ा रो लो बाबाजी
मान गया मैं, नहीं डरे तुम झूले पर
अब तो अपने कपड़े धोलो बाबाजी
ढाई बज गये, बाबी द्वार न खोलेगी
यहीं किसी फुटपाथ पे सो लो बाबाजी
हाथ में थी वो सारी फ़सल उड़ा डाली
साथ की खातिर भी कुछ बो लो बाबाजी
रोने से क्या संकट कम हो जायेंगे ?
आओ झूमो, नाचो, डोलो बाबाजी
'अलबेला' सब रूखापन मिट जायेगा
जीवन में तुम प्यार तो घोलो बाबाजी
-अलबेला खत्री
Comment
आपका कोटि कोटि धन्यवाद आदरणीय अम्बरीश जी
विनम्र आभार
आपको रचना पसन्द आई.........मन गदगद हुआ......
सादर
आपका कोटि कोटि धन्यवाद रक्ताले जी
विनम्र धन्यवाद
आपका बहुत बहुत धन्यवाद दीप्ति जी
//जीवन में सुख दुःख का सीधा मतलब है
थोड़ा हँस लो, थोड़ा रो लो बाबाजी
हाथ में थी वो सारी फ़सल उड़ा डाली
साथ की खातिर भी कुछ बो लो बाबाजी
रोने से क्या संकट कम हो जायेंगे ?
आओ झूमो, नाचो, डोलो बाबाजी//
'अलबेला' सब रूखापन मिट जायेगा
जीवन में तुम प्यार तो घोलो बाबाजी//
मंत्र यही है सारे सुंदर जीवन के,
प्यारी प्यारी भाषा बोलो बाबा जी.
आदरणीय अलबेला जी, क्या मस्त-मस्त अशआर कहें हैं .......बहुत बहुत बधाई प्रभु ....सादर
अलबेला जी
सादर,
ढाई बज गये, बाबी द्वार न खोलेगी
यहीं किसी फुटपाथ पे सो लो बाबाजी
सोने से पहले एक काल कर लो बाबाजी
सलमान का परिवार सो गया ज्ञात कर लो बाबा जी.
'अलबेला' सब रूखापन मिट जायेगा
जीवन में तुम प्यार तो घोलो बाबाजी
बहुत सुन्दर विचार. क्या कहने. वाह!
'अलबेला' सब रूखापन मिट जायेगा
जीवन में तुम प्यार तो घोलो बाबाजी
वाह अलबेला जी .... क्या बात कही बाबा जी अति सुंदर
आपका धन्यवाद आशीष जी........
बाबा जी श्रृंखला की एक और शानदार पेशकश। मजा आ जाता है आपकी रचनाओं को पढ़कर।
सुन्दर रचना पर बधाई स्वीकार कीजिये
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