For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


राह तकती है तुम्हारी,
आज यह सूनी कलाई....

स्मृति बस स्मृति ही ,
शेष है सूने नयन में
बिम्ब दिखता है तुम्हारा,
आज मधु मंजुल सुमन में
यूँ लगा कि द्वार खुलते
ही मुझे दोगी दिखाई
राह तकती है तुम्हारी
आज यह सूनी कलाई.........................

आरती की थाल कर में
दीप आशा का जलाये
इस धरा पर कौन है जो
नेह की सरिता लुटाये
श्रावणी वर्षा हृदय में
आज मेरे है समाई
राह तकती है तुम्हारी
आज यह सूनी कलाई.........................

रेशमी धागों की अब भी
इस कलाई पर छुअन है
हो रहा अहसास कि
नजदीक ही मेरी बहन है
वह प्रतीक्षा कर रही है
हाथ में थामे मिठाई
राह तकती है तुम्हारी
आज यह सूनी कलाई........................

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर , दुर्ग (छत्तीसगढ़)
विजय नगर, जबलपुर (म.प्र.)

Views: 1710

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 2, 2012 at 4:42pm
//आज जाना कि कविता लिखी नहीं जाती, जन्म लेती है.//
भाई अरुणजी, बस यही सरसता सभी की ओर संप्रेषित हो.

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on August 2, 2012 at 4:16pm

सौरभ जी की गोद है, अम्बरीष के काँध |

प्राची अलबेला रहे , मुझको ढाढस बाँध ||

मुझको ढाढस बाँध, यही परिवार कहाये |

सुख दुख में दे साथ, वही रिश्ता कहलाये ||

लिखे हमेशा कलम ,आज आँसू ने लिख दी |

अपनों को आभार , बता दें प्रिय सौरभ जी ||

आज मन कुछ अधिक ही भावुक हो गया है, आदरणीअ अम्बरीष जी, अलबेला जी, प्राची जी तथा सौरभ जी का ह्र्दय से आभार. आज जाना कि कविता लिखी नहीं जाती, जन्म लेती है.

Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 2, 2012 at 4:03pm

कौन भला दे पायगा, यहाँ समय को मात.

श्रावण तो है जा चुका, आँखों से बरसात..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on August 2, 2012 at 3:55pm

आँखों में बरसात हो, मचलें हो अहसास |

कैसी श्रावन पूर्णिमा, कैसा श्रावण मास ?

Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 2, 2012 at 3:36pm

सप्त लोक के पार है बहना का वह धाम.

भीगी आँखों से करें, पुनि-पुनि उसे प्रणाम..

धन्यवाद आदरणीय सौरभ जी आदरणीय अरुण निगम जी को पुनः मेरा प्रणाम .....सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 2, 2012 at 3:14pm

बहना है हृद में बसी, चुपचुप सी है दृष्टि
मन को मन से बालती, आँखों की यह वृष्टि

सादर आदरणीय अम्बरीषभाईजी.  आदरणीय अरुण भाई की इस उच्च भावदशा को पुनः सादर प्रणाम कि हम सजल-सप्रवाह हो चले.. .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 2, 2012 at 3:08pm

आदरणीय अरुण जी,
रक्षा बंधन पर बहना की स्मृतियों से सजी इस रचना के लिए हार्दिक नमन.
सादर

Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 2, 2012 at 2:57pm

//आकुल मन नम आँख से, बहना आती याद ।
उस घर है वो जा बसी, जहाँ न हर्ष-विषाद ॥

जबसे बहना जा बसी जहाँ बसे घनश्याम |
राखी बिना कलाइयाँ तबसे उसके नाम ||

मेरे मन की मान थी, मन की ईश सुनाम |
मन से मन को तारती, बहना याद तमाम ||//

चली गयी जग छोड़ कर, कहाँ करें फ़रियाद.

एक  हमारा  दर्द  है , आती  बहना  याद ..    सादर

Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 2, 2012 at 2:52pm

खो गयी जो बादलों में

मन वहीं अपना बसा है

गीत अति सुंदर तुम्हारा

दर्द ने इसको रचा है

आँख में आँसू भरे हैं

देख तेरी याद आयी

राह तकती है तुम्हारी
आज यह सूनी कलाई......सादर

Comment by Albela Khatri on August 2, 2012 at 2:41pm

आदरणीय अरुण निगम जी
आज रक्षाबंधन  के उत्साहपूर्ण  वातावरण में भी आपके गीत ने भीतर तक द्रवित कर दिया


रेशमी धागों की अब भी
इस कलाई पर छुअन है
हो रहा अहसास कि
नजदीक ही मेरी बहन है
वह प्रतीक्षा कर रही है
हाथ में थामे मिठाई
राह तकती है तुम्हारी
आज यह सूनी कलाई........................

________--अत्यंत  पवित्र  और  मार्मिक गीत रचा आपने........सच !  कलाई सूनी हो, तो  बहनों की याद मन भेद देती है........

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
2 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
3 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service