For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कह मुकरी: मोहपाश में नित्य फँसाये!

कह-मुकरी

(1)

पल में सारा गणित लगाये 

इन्टरनेट पर फिल्म दिखाये 

मेरे बच्चों का वह ट्यूटर.

ऐ सखि साजन? नहिं कम्प्यूटर..

(2)

बड़ों-बड़ों के होश उड़ाये

अंग लगे अति शोभा पाये

डरती जिससे दुनिया सारी

क्या वो नारी? नहीं कटारी!! 

(3)

रहे मौन पर साथ निभाये

मैडम का हर हुक्म बजाये 

नहीं आत्मा रहता बेमन 

ऐ सखि रोबट? नहिं मन मोहन!!

(4)

मोहपाश में नित्य फँसाये

सास-बहू हैं घात लगाये

उलझी जिसमें रहती बीवी

सोना चांदी? नहिं यह टीवी!!

(5)

जंतर-मंतर धूम मचाये

भ्रष्ट तंत्र को राह दिखाये   

चली जोर से  जिसकी आँधी

क्या सखि अन्ना? नहिं सखि गाँधी!!

--अम्बरीष श्रीवास्तव

Views: 753

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rekha Joshi on August 8, 2012 at 10:34am

 आदरणीय अम्बरीश जी ,सादर नमस्ते 

रहे मौन पर साथ निभाये

मैडम का हर हुक्म बजाये 

नहीं आत्मा रहता बेमन 

ऐ सखि रोबट? नहिं मन मोहन!!.बहुत बढ़िया ,सटीक  कह मुकरी ,मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें 

Comment by Yogi Saraswat on August 8, 2012 at 9:50am

मोहपाश में नित्य फँसाये

सास-बहू हैं घात लगाये

उलझी जिसमें रहती बीवी

सोना चांदी? नहिं यह टीवी!!

बहुत सही लिखा आपने श्रीवास्तव जी ! आइना दिखा दिया ! बहुत बढ़िया

Comment by UMASHANKER MISHRA on August 7, 2012 at 10:19pm

प्रिय अम्बरीश जी कह मुकरियाँ मन मोह रही है

रहे मौन पर साथ निभाये

मैडम का हर हुक्म बजाये 

नहीं आत्मा रहता बेमन 

ऐ सखि रोबट? नहिं मन मोहन!!

जंतर-मंतर धूम मचाये

भ्रष्ट तंत्र को राह दिखाये   

चली जोर से  जिसकी आँधी

क्या सखि अन्ना? नहिं सखि गाँधी!! ये दो मुकरियाँ एकदम लाजवाब है मज़ा आ गया

मुझसे ज्यादा मेरे बच्चो को आपकी इन मुकरियों को पढ़ आनंद आता है  वे इन्हें अपनी कापी में उतार  लेती है

हर प्रश्न का  सटीक जवाब दिया है

बहुत बहुत बधाई

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 7, 2012 at 7:45pm

आदरणीय अम्बरीश जी सादर नमन, कह मुकरिया में खास तौर से ४ नंबर घर घर की सच्ची कहानी बयाँ करती है | पसंद आई |

आन्दोलन अगर सफल हुआऔर आंधी चली तो गाँधी की, इसलिए बिलकुल उचित ही लिखा है- हार्दिक बधाई 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 7, 2012 at 4:21pm

जय श्री राधे बहुत सुन्दर ..हाजिर जबाबी की आप के जबाब नहीं .....

भ्रमर ५ 
Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 7, 2012 at 3:35pm

स्वागत है आदरणीय भ्रमर जी, कह मुकरियों की सराहना के लिए हार्दिक आभार ......भाई जी मेहनत करना ही तो अपना धर्मं है ! और मैंने भी तो कुछ देर पहले यहाँ पर http://www.openbooksonline.com/profiles/blogs/5170231:BlogPost:256771 मेहनत ही की है ........सादर 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 7, 2012 at 2:53pm

बड़ों-बड़ों के होश उड़ाये

अंग लगे अति शोभा पाये

डरती जिससे दुनिया सारी

क्या वो नारी? नहीं कटारी!! 

आदरणीय अम्बरीश जी बहुत सुन्दर कह मुकरियाँ आप की हर रंग दिखाती हुयी टी वी कंप्यूटर अन्ना गांधी सब ...उपर्युक्त बहुत अच्छी लगी 

ऐ सखि रोबट? नहिं मन मोहन!! 
क्या सखि अन्ना? नहिं सखि  गाँधी!! 
ये दोनों समझने में बड़ी मेहनत लग रही है ..काश समझ  जाऊं 
भ्रमर ५ 
Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 7, 2012 at 12:15pm

पिसाई तो होनी ही है भाई कुमार अजीतेंदु जी, क्योंकि 'मन' को काबू में करने वाले ही तो महामानव कहलाते हैं .....

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 7, 2012 at 12:09pm
आदरणीय अम्बरीश सर, सही कहा आपने। इस बेचारे मोहन की तो पिसाई ही हो रही है।
Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 7, 2012 at 11:29am

सुप्रभात आदरणीय प्रदीप जी, हार्दिक आभार मित्रवर .....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  दिनेश जी,  बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर बागपतवी जी,  उम्दा ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी,  बेहतरीन ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। मैं हूं बोतल…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। गुणिजनों की इस्लाह तो…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन प्रकाश  जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया रिचा जी,  अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए।…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
3 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, आप का बहुत धन्यवाद।  "दोज़ख़" वाली टिप्पणी से सहमत हूँ। यूँ सुधार…"
5 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service