For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वो कौन है जिसकी याद सताती है हमें||

वो कौन है जिसकी याद सताती है हमें|
न जाने किस तरफ ये रोज बुलाती है हमें||

खोजता हूँ मै उसे मिलती नहीं वो मुझको|
रात को लेकिन चुपके से जगाती है हमें||

कहीं मिले जो कभी मुझसे साफ़ कह दूँ मैं|
की कौन है और ऐसे सताती है हमें||

देर तक तन्हा बैठ कर के यूँ ही सोचते हैं|
फिर याद उसकी जमीं महफ़िल में लाती है हमें||

फूल के जैसे खिल के वो मेरे सिने में|
साथ हूँ इसका एहसास कराती है हमें||

एक अनजान सहारा सी बन गयी है वो|
अश्क जब आँखों में आये तो हसाती है हमें||

दूर होती नहीं मुझसे एक पल खातिर|
हर घडी बन के हवा छूकर जाती है हमें||

न जाने किस तरफ ये रोज बुलाती है हमें|
वो कौन है जिसकी याद सताती है हमें||

Views: 592

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by आशीष यादव on November 25, 2010 at 12:29am
hausala aafjai ke liye aap logo ko dhanywaad,
Comment by Anupama on November 2, 2010 at 10:38pm
bhaavpoorna rachna!
Comment by Raju on October 25, 2010 at 7:49pm
bahut hi sunder Aashish bhai.
Comment by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on October 13, 2010 at 10:11pm
फूल के जैसे खिल के वो मेरे सिने में|
साथ हूँ इसका एहसास कराती है हमें||

badhiya aasar ...sundar khayal ,ek ek pankti gudgudati hai
Comment by Julie on October 11, 2010 at 11:36pm
दूर होती नहीं मुझसे एक पल खातिर|
हर घडी बन के हवा छूकर जाती है हमें||

वाह बहुत सुंदर लिखा है आपने... आशीष जी... बधाई...!!
Comment by Pooja Singh on October 11, 2010 at 9:39pm
दूर होती नहीं मुझसे एक पल खातिर|
हर घडी बन के हवा छूकर जाती है हमें||
सुंदर भावनावो सहित बेहतरीन अभिव्यकि है |
Comment by आशीष यादव on October 11, 2010 at 9:09pm
Anupama ji aur Hilal ji dhanyawad
Comment by Hilal Badayuni on October 11, 2010 at 6:56pm
behtar hai aashish sahab
Comment by Anupama on October 11, 2010 at 6:08pm
rachna sundar kalpanaon ka ehsaas karati hai!
shubhkamnayen!
Comment by आशीष यादव on October 11, 2010 at 5:48pm
satish ji dhanyawaad

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम्"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Jul 12
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service