आता है हर साल मेरे राह में गुजर
शहिदों की यादें लिए त्यौहार को नमन
वो तो चले गये जो सदा रहेंगें अमर
उनके खूँ के गर्मी के उपकार को नमन
सम्हालना था जिन्हें इस देश की डगर
जाने कहाँ खो गये उनका भी हो नमन
लूटने वालों ने थामा है अपना हाथ
निष्ठुर तमाशा देखती हर आँख को नमन
झंडे में पड़ा ये फहरने को था मगर
खींचते नेता के हाथों फंद को नमन
इंतज़ार कब पड़ेंगे इस देश में चरण
उस कृष्ण और राम के अवतार को नमन
सजदे में मेरे है हर गांव और शहर
देश की मिटटी के हर एक बुत को नमन
खींचते हैं आम यहाँ द्रोपदी के चीर
लाचार देश के सभी लाचार को नमन
कुर्बानियों की याद में आज़ाद ए वतन
बस एक दिन उत्साह फिर खल्लास को नमन
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामना
उमाशंकर मिश्रा
दुर्ग (छ.ग.)
Comment
उमा शंकर जी प्रणाम.......
सुंदर अतिसुंदर भावपूर्ण गजल ......"सपरिवार सहित आपको शुभ दीपावली"
फूल सिंह
आदरणीया रेखा जी आपने मेरी अंतरात्मा से निकली लाईन को कोड किया
आपके इस सटीक टिप्पणी के लिए आभार
महिमा जी आपने जज्बातों को समझा
आपका आभार
स्टीक व्यंग आदरणीय उमाशंकर जी ,बधाई
कुर्बानियों की याद में आज़ाद ए वतन
बस एक दिन उत्साह फिर खल्लास को नमन
देश के हालात पर बढ़िया व्यंग ... सच्चाई तो यही है .. एक दिन बड़े बड़े वादे किये जाते है .. चिंता जताई जाती है .. और फिर स्थिति वही की वही ...
बधाई आपको
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