For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मै ने ही दलाली खायो

भैय्या मोरे मैन हीं दलाली खायो ...भैय्या मोरे मै नहीं दलाली खायो

ये पार्टी और वो पार्टी मिलकर ...म्हारे मुख लपटायो ..

रे भैय्या मोरे मैनहीं दलाली खायो

देश को ऊंचो नाम करन को

भाइयो के पेट भरण को

कामन वेल्थ करवायो .. रे भैय्या मोरे मैन हीं घपलों करवायो

उनकी गाड़ी पेट्रोल पियत है

म्हारी तो मुफ्त मा चलत है

म्हारी बहु ने पुत्र वधु कह कर

ठेकों मैंने दिलवायो .....पर भैय्या मोरे मै नहीं  दलाली खायो

जब जब जरुरत उनको पड़ी तो

उनकी गड्डी में भी डलवा यो

भैय्या पूछे क्या डलवायो ?

रे  भैय्या पेट्रोल डलवायो....रे भइय्या ठेका उन्हें दिलवायो

रेत को ठेकों खनिज को ठेकों

दारू को ठेकों सड़क को ठेकों

जंगल को ठेकों भवन को ठेकों 

बन्दर बाँट बंटवायो .... पर भैय्या मोरे मै नहीं  दलाली खायो

वो मांगे तो चंदा कहत हैं

चपरासी को बक्शीस बटत है

बाबू मांगे दस्तूर कहत हैं

फिर म्हारो रुपयों ...

क्यों रिश्वत कहलायो ..... भैय्या मोरे मै नहीं दलाली खायो

गेरुवा पहनूं मोहे संत कहत हैं

खद्दर में नेता जी रहत हैं

उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम

कण कण में मै ही समायो

मै सर्वग्य  कहायो ....... भैय्या मोरे मै मै नहीं दलाली खायो

ऐ जनता तू है अभी भोला

जेब भरे म्हारा तेरा झोला

थारे मेहनत के पाछे

इनकम टेक्स लगवायो 

मै नहीं टेक्स लगवायो .... भैय्या मोरे मै मै नहीं दलाली खायो

कुर्सी जब खतरे में पड़त है

वो हमसे तब युद्ध करत हैं

भोली जनता को गुमराह करन को

कारगिल में युद्ध करवायो

भैय्या मोरे मै नहीं युद्ध करायो... भैय्या मोरे मै मै नहीं दलाली खायो

ऐ भैय्या कुर्सी ने हमकों

बहुत ही नाच नचायो

भाई कुर्सी अपनी कुर्सी

इसके लिए दंगो बेदर्दी

मिल जुल कर करवायो ...रे भैय्या मोरे मै नहीं दंगो करवायो

सीधो साधो गुजरात जहाँ को

गाँधी बिनोबा नाम वहाँ को  

गुजरात में छिप छिप के मैंने

आग वहाँ लगवायो

और गोधरा कांड करवायो ..भैय्या मोरे मै ने ही कांड करवायो

इंसा को हिंदू बनवाकर

इंसा को मुसलमाँ बनाकर

आपस में लड़वायो

खून खच्चर मचवायो ...रे भैय्या मोरे खून खच्चर मचवायो

ऐ जननी तू मन की अति भोली

ताबूतों में उठी तेरी डोली

लाल तेरे तेरी लाज के खातिर

सीमा में जान लुटायो

आपनों प्राण गंवायो .....

मै घर में बैठो बैठो

टेलीविजन के आगे

ताली पे ताली बजायो

रे भैय्या मेरे मै ने ही दलाली खायो

रे भैय्या मोरे ताबूत कांड करायो

पेट्रोल पम्प बटवायो

सूटकेश पचायो

खून पे खून बहवायो

रिश्वत खायो .....रे भैय्या मोरे हम ने ही दलाली खायो

 

Views: 558

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 16, 2012 at 11:21pm

आदरणीय और प्रिय अलबेला जी ,भाई  उमाशंकर मिश्र जी और  प्रिय संदीप जी आप सब को चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता अंक १५ में प्रथम द्वितीय तृतीय स्थान ले विजयी रहने पर हार्दिक और लख लख बधाइयाँ 

भ्रमर ५ 
Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on July 14, 2012 at 1:25am

उमाशंकर भाई नमस्कार ! नेताओं और उनकी कारस्तानियों पर अच्छा तंज़ कसा है आपने ने इस रचना के द्वारा। आपको बहुत बहुत बधाई।

Comment by UMASHANKER MISHRA on July 11, 2012 at 11:36pm

प्रिय सुरेन्द्र जी आपका ह्रदय से आभार आपने दिल की बात कर दी सौ आने सच

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 11, 2012 at 10:32pm

वो मांगे तो चंदा कहत हैं

चपरासी को बक्शीस बटत है

बाबू मांगे दस्तूर कहत हैं

फिर म्हारो रुपयों ...

क्यों रिश्वत कहलायो ..... भैय्या मोरे मै नहीं दलाली खायो

प्रिय मिश्र जी काविले तारीफ़ रचना  करारा तमाचा मारती हुयी भ्रष्टाचारियों के मुंह पर ..आँखें अब भी न खुलें इनकी तो न जाने क्या करना होगा आँखें  खोलने के लिए अभी आगे .....भ्रमर ५ 

Comment by UMASHANKER MISHRA on July 6, 2012 at 7:13pm

प्रिय योगी सारस्वत,आदरणीय रेखा जी  व्यंग का टेस्ट चटखारा मार  कर लेने के लिए आभार

आपने इतनी लंबी रचना को पढ़ा और झेला सादर आभार मुझे लगा की पाठक कहीं बोर ना हो जाए

धन्यवाद जी

Comment by Rekha Joshi on July 6, 2012 at 5:49pm

उमा शंकर जी ,सादर नमस्ते ,

जब जब जरुरत उनको पड़ी तो

उनकी गड्डी में भी डलवा यो

भैय्या पूछे क्या डलवायो ?

रे  भैय्या पेट्रोल डलवायो....रे भइय्या ठेका उन्हें दिलवायो,सटीक व्यंग ,बधाई 

Comment by Yogi Saraswat on July 6, 2012 at 3:16pm

ऐ भैय्या कुर्सी ने हमकों

बहुत ही नाच नचायो

भाई कुर्सी अपनी कुर्सी

इसके लिए दंगो बेदर्दी

मिल जुल कर करवायो ...रे भैय्या मोरे मै नहीं दंगो करवायो

क्या सटीक व्यंग्य है ! वाह , बहुत बढ़िया साब

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
3 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
20 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
21 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service