For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोस्तों आज़ादी की इस पवित्र वेला में मै आज वहुत दिनों के बाद अपनी उपस्थिति दर्ज करवा  रहा हूँ । और क्यों की आज हम आज़ादी के 65 वर्ष पूरे करके 66 वर्ष में प्रवेश कर रहे है । मै इस झंझट में विल्कुल नहीं पडूंगा की हमने क्या खोया क्या पाया। मै तो एक दृश्य और उस पर लिखे अपने एक गीत को आप के साथ बाँटना चाहता हूँ।

इस गीत में तीन दृश्य है । प्रथम दृश्य में भारत पाक युद्ध की घोंष्णा हो चुकी है और सभी फौजी जो छुटटी पर है वापस बुला लिए जाते हैं और एक फौजी अपने घर से  कूंच कर रहा है वोह अपने गाँव की टुकड़ी में मिल जाता है और सब मिल कर गाते हुए मार्च कर रहे है और अपनी मंजिल की तरफ बड़ रहे है ।

 

दुसरे दृश्य में एक माँ अपने बेटे से बचन लेती है की वोह सिर्फ जीत कर ही वापस आये नहीं तो युद्ध भूमि में ही जान देदे ।  तीसरे दृश्य में एक पत्नी अपने पति  से  कहती है की वोह अपनी पायल के सारे घूंगरू निकाल कर फेंक देगी ताकि उसका पति आकर्षित  होकर वापस न आ जाए . अंत में वोह फौजी अपनी पत्नी को वचन कहता है वोह सर्वदा अपने देश के प्रति वफादार रहेगा। अब गीत प्रस्तुत है कृपया दृश्य को ध्यान में रख कर ही गीत को पड़ें। जय हिंद । जय भारत ।

 

जिस धरती पर जन्म लिया है ।

पल कर हुए जवान ।

आज उसी धरती की खातिर ,

कर दो जान कुर्बान ।

आज ली है कसम ,

हमने मेरे वतन ,

दुश्मनों को जहाँ से मिटाने की ।

याद दुनिया को सारी दिला देंगे हम ।

फिर सुभाष और भगत के जमाने की ।

आज ली है कसम।

 

माँ ,बहिन, भाई, पत्नी सभी छोड़ के ।

जा रहा हूँ मै  दुनिया से मुह मोड़ के ।

रोके अपने कदम किस्मे इतना है दम --2

दिल में ठानी है मंजिल को पाने की ।

आज ली है कसम।

 

जा रहे हो तो जाओ --2

याद रखना मगर 

दूध माँ का कभी तुम लजाना न ।--2

जान दे देना सरहद पे मर जाना तुम,

हार कर मुह मुझे तुम दिखाना न ।

सिर्फ मेरी  नहीं तुम् पे नज़रें टिकी ।

आज भारत के सर को उठाने की ।

आज ली है कसम।

मेरी पायल है बिन घुघरू की ।--2

मै  चूड़ी न खनकाउंगी ।--2

जो रूप बने पग की बेडी --2

उस रूप को आग लागाउंगी ।

मेरी पायल है बिन घुघरू की ।

वुजदिल  की बीबी न बनूँगी ,

दे दूंगी मै  जान ।

एक शहीद की बेवा कहलाने ,

में है मेरी शान ।

देश की आन न मिटने दूंगा 

दे दूंगा मै  जान ।

पहले देश की शान बनुगा ,

पीछे तेरी जान ।

आज ली हमने कसम ,

हमने मेरे वतन ,

दुश्मनों को जहाँ से मिटाने की ।

याद दुनिया को सारी दिला देंगे हम ।

फिर सुभाष और भगत के जमाने की ।

  

  

Views: 492

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by UMASHANKER MISHRA on August 15, 2012 at 9:46pm

आदरणीय मुकेश कुमार जी आपके इस देश भक्ति से ओत प्रोत रचना ने आँखों में आसुओं के धार .....

आपकी रचना के समक्ष नत मस्तक हूँ

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 15, 2012 at 2:19pm
भाई मुकेशजी, आपके गीतों ने राजस्थान की वीरांगनाओं पद्मिनी,पन्ना धाय जैसी 
वीरांगनाओं  के शौर्य गाथाओं की याद दिला दी | आदरणीय मेघ राज मुकुल की "सैनाणी"
और श्याम नारारें पाण्डेय की महाराणा प्रताप पर लिखी रचना मेरे मन में घूम गयी |
बहुत सुन्दर और गहरे भांव हार्दिक बधाई |

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 15, 2012 at 1:22pm

बहुत सुन्दर भाव चित्रों को उकेरा है आपने अपने शब्दों में... मुकेश जी,

एक फौजी का पूरा परिवार उसको शक्ति देता है, ऐसे परिवार को सलाम..

इस सुन्दर रचना पर हार्दिक बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"भाई शिज्जू जी, क्या ही कमाल के अश’आर निकाले हैं आपने. वाह वाह ...  किस एक की बात करूँ…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपके अभ्यास और इस हेतु लगन चकित करता है.  अच्छी गजल हुई है. इसे…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु भाई , क्या बात है , बहुत अरसे बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ा रहा हूँ , आपने खूब उन्नति की है …"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" posted a blog post

ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है

1212 1122 1212 22/112मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना हैमगर सँभल के रह-ए-ज़ीस्त से गुज़रना हैमैं…See More
5 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधकह दूँ मन की बात या, सुनूँ तुम्हारी बात ।क्या जाने कल वक्त के, कैसे हों…See More
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी posted a blog post

ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)

122 - 122 - 122 - 122 जो उठते धुएँ को ही पहचान लेतेतो क्यूँ हम सरों पे ये ख़लजान लेते*न तिनके जलाते…See More
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
""रोज़ कहता हूँ जिसे मान लूँ मुर्दा कैसे" "
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"जनाब मयंक जी ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, गुणीजनों की बातों का संज्ञान…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय अशोक भाई , प्रवाहमय सुन्दर छंद रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई "
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय बागपतवी  भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक  आभार "
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आदाब, ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएँ, गुणीजनों की इस्लाह से ग़ज़ल…"
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
15 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service