हाय रे ये इश्क़ की बेताबियाँ
ले रही हैं ज़िन्दगी अंगड़ाइयां
क्या कहूँ इस से ज़ियादा आप को
मार डालेंगी मुझे तन्हाइयां
आजकल मातम है क्यूँ छाया हुआ
सुनते थे कल तक जहाँ शहनाइयाँ
दौर है ये ज़ोर की आजमाइशों का
भिड़ रही हैं परवतों से राइयां
चल पड़ा हूँ मैं निहत्था जंग में
लाज रख लेना तू मेरी साइयां
इक जगह टिकती नहीं हैं ये कभी
मुझ सी ही नटखट मेरी परछाइयाँ
इतनी सुन्दर बीवियां दिखती नहीं
जितनी सुन्दर काम वाली बाइयां
'अलबेला' है मसखरा, शायर नहीं
ढूंढिए मत ग़ज़ल में गहराइयां
-अलबेला खत्री
Comment
हा हा हा
तो ये है लोटा ....
बाबा लोटानंद की जय !
सादर बागी जी..............हा हा हा ..मज़ा आया
लोटा का आकर्षण होता ही ऐसा, समय पर लोटा ना मिले तो आदमी लौटता नहीं है लोट जाता है :-))))))))))))))))
ये लोटा लोटा क्या है ?
ये लोटा लोटा ?
लोटा ?
_________सादर महाप्रभु !
ले लोटा.. . आय-हाय.. हाय-हाय ! हा हा हा हा... बाग़ी भाई के जवाब नइखे.. (बाग़ी भाई का ज़वाब नहीं है)
इस लोटे के आकर्षण में खिंचा चला आया.. . :-))))))))
आदरणीय बागी भाईजी,
प्रणाम............ये "ले लोटा " क्या है जी ?
___आपकी सराहना सर आँखों पर..........लेकिन लोटा वाला रहस्य क्या है ?
सादर
'अलबेला' है मसखरा, शायर नहीं
ढूंढिए मत ग़ज़ल में गहराइयां......
ले लोटा, गहरी बात कहने बाद कह दिए कि "ढूंढिए मत ग़ज़ल में गहराइया" वैसे ही जैसे टी वी वाले सब कुछ दिखाने के बाद Disclaimer लिख देते है, अच्छी ग़ज़ल पर मुबारकवाद कुबूल करें |
धन्यवाद भाई सतीश जी.......
शुक्रिया
सादर
सादर आदरणीय लड़ी वाला जी
"वैसे कहना नहीं किसी से, .आपकी रूचि,आपकी सतत ऊर्जा और आपका समर्पण स्तुत्य है"
धन्यवाद.........
बहुत बहुत शुक्रिया
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