मुझ पर एक एहसान करो
ढंग से अपना कर्म करो
अलख ज्योति जला के हृदय
नवीन युग का निर्माण करो
मुझ पर एक एहसान करो
आँधियों को भी चलने दो
जख्मो को भी बनने दो
जूझते रहो हर समस्या से
जब तक ना इसका
समूल विनाश करो
मुझ पर एक एहसान करो
निपुण स्वयं को इतना करो
कथन करनी में भेद ना हो
स्र्मृति चिन्ह बने तेरे कदम
आयाम ऐसे खड़े करो
मुझ पर एक एहसान करो
बहुमूल्य ये जीवन है
बड़े पुण्यों का है सरगम
कृत्य ऐसे करते चलो
मानव धर्म पर बढ़ते चलो
मुझ पर एक एहसान करो
संकल्प ऐसे हृदय धरो
सामाजिक बुराइयों का अंत करो
समर्पित धरती माँ को जीवन कर
अपने दायित्व की पूर्ति करो
मुझ पर ये एहसान करो
Comment
दीपक शर्मा जी नमस्कार
आपका मेरे ब्लॉग सुस्वागत ...........ये मेरा सौभाग्य की मेरी रचना आपको अच्छी लगी ............इसके लिए आपको सहृदय से धन्यवाद
फूल सिंह
अशोक जी नमस्कार
आपका मेरे ब्लॉग सुस्वागत ...........ये मेरा सौभाग्य की मेरी रचना आपको अच्छी लगी ............इसके लिए आपको सहृदय से धन्यवाद
फूल सिंह
नवल किशोर जी नमस्कार आपका मेरे ब्लॉग सुस्वागत ...........ये मेरा सौभाग्य की मेरी रचना आपको अच्छी लगी ............इसके लिए आपको सहृदय से धन्यवाद फूल सिंह
आदरणीय
सादर,
मुझ पर एक एहसान करो
मन से अपना काम करो
अलख जला इस हृदय में
नवीन युग का निर्माण करो
मुझ पर एक एहसान करो.......
थोड़े सुधार से गेयता और भी अच्छी बनेगी. विकासशील विचारों के लिए हार्दिक बधाई.
CONGRATULATION.....PHOOL SINGH
पहली रचना के प्रकाशन के लिए मुबारकबाद यहाँ तक का रास्ता हमने दिखाया ज़रूर है पर आगे आपकी अपनी मेहनत है...
दीपक कुल्लुवी
आदरणीय फूल सिंह जी ,बधाई-------
संकल्प ऐसे हृदय धरो
सामाजिक बुराइयों का अंत करो
समर्पित धरती माँ को जीवन कर
अपने दायित्व की पूर्ति करो
मुझ पर ये एहसान करो,अति सुंदर अभिव्यक्ति आदरणीय फूल सिंह जी ,बधाई
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