स्वपन दुनियाँ से जागो आज
भ्रूण हत्या का करो ना पाप
आत्मा की उसकी सुनो गुहार
देखि नहीं जो, अब तक संसार
करती फरियाद वो चीख पुकार
क्यूँ करता मेरी, हत्या समाज
कोई तो दो मेरा दोष बता
कन्या होने की दो ना सजा
माँ बेबस लाचार, तू क्यूँ है बता
हृदय अपना शूल ना बना
मुझ पर थोडा तरस तो खा
निर्मम हत्या से मुझे बचा
अपने सानिध्य में मुझको ले
वंचित न कर अधिकार मेरे
दे मुझको संस्कार तेरे
जन्म दे इस दुनियाँ में
कर मेरा उद्धार तू माँ
माँ आत्मीयता का ज्ञान तो कर
नारी मर्यादा का ध्यान तो कर
स्त्री बिना जग चलेगा कैसे
संतुलन प्रक्रति का बनेगा कैसे
धैर्य धर, तू विचार तो कर
शिक्षित है जब सभ्य समाज
भ्रूण हत्या का करो ना पाप
जीवनधारा मैं, बनूँ समाज
स्नेह से मुझको कर स्वीकार
गौरवान्वित करूंगी , कुल का नाम
यूँ ना करो मेरा तिरस्कार
सर्वविदित है ये जग संसार
कन्या नहीं कोई अभिशाप
कन्या नहीं कोई अभिशाप
फूल सिंह
Comment
राजेश कुमारी जी नमस्कार
आपका मेरे ब्लॉग सुस्वागत ...........ये मेरा सौभाग्य की मेरी रचना आपको अच्छी लगी ............इसके लिए आपको सहृदय से धन्यवाद
फूल सिंह
रेखा जी नमस्कार
आपका मेरे ब्लॉग सुस्वागत ...........ये मेरा सौभाग्य की मेरी रचना आपको अच्छी लगी ............इसके लिए आपको सहृदय से धन्यवाद
फूल सिंह
जीवनधारा मैं, बनूँ समाज
स्नेह से मुझको कर स्वीकार
गौरवान्वित करूंगी , कुल का नाम
यूँ ना करो मेरा तिरस्कार
सर्वविदित है ये जग संसार
कन्या नहीं कोई अभिशाप
कन्या नहीं कोई अभिशाप,अति सुंदर भाव आदरनीय फूल सिंह जी ,बधाई
बहुत अच्छे ज्वलंत मुद्दे पर आपने कविता लिखी है बहुत अच्छे भाव भरे हैं रचना में काश ये समाज सब समझ जाए और कन्या भ्रूण हत्या रुक जाए लोगों को जागरूक करने के लिए हम लोग कलम का सहारा लेते रहेंगे
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