For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जो तुम बोलते हो क्या सिर्फ वही है भाषा ?
मैं जब सोचती हूँ तुम्हें
और खोती हूँ ,
तुम्हारे ख्यालों में ,
सपने सजाती हूँ नयनों में ,
और मुझे बहुत दूर जहाँ
के पार ले जाते है मेरे सपने
वहां जहाँ कोई नही होता मेरे पास
मैं नहीं खोलती अपना मुंह
फिर भी मैं बतयाती हूँ
फूलों से,तितलियों से, बहारों से
और तुमसे .
मेरे अहसास में होते हो तुम ,
बिन बोलें करती हूँ तुमसे बातें ,
क्या यह नहीं है भाषा ?
और क्या भाषा बिना संभव है यह सब ????

Views: 458

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 1, 2012 at 10:51pm

नवल किशोर भाई, आपकी इस भाव-रचना ने अत्यंत प्रभावित किया है. शुभेच्छाएँ.. .

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on September 1, 2012 at 12:23pm
आपकी रचनाएँ लाजवाब होती ही हैं  यह भी है 
दीपक शर्मा 'कुल्लुवी'

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 1, 2012 at 11:53am

मेरे अहसास में होते हो तुम ,
बिन बोलें करती हूँ तुमसे बातें ,
क्या यह नहीं है भाषा ?
और क्या भाषा बिना संभव है यह सब ????
इसी को कहते हैं आत्मा से आत्मा का अप्रत्यक्ष वर्तालात/संवाद  जिसके तार आपस में जुड़े होते  हैं जो दिखाई नहीं देते जिनको समझाने के लिए किसी भाषा या शब्दों के भी जरूरत नहीं होती ----बहुत  अच्छे भाव छुपे हैं प्रस्तुति में बहुत बधाई |

 

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on August 31, 2012 at 6:14pm
आदरणीय नवल किशोर जी! अतुकांत,मुक्त,निरंकुश होने के पश्चात भी मुक्तक कविता में उर्युक्त की कमी न खलना ही इसकी महानतम उपलब्धि है और आपकी कविता इसका अर्जन करती है,जो भूरिश: बधाई की पात्रा है।
वस्तुत: मौन की भाषा मौखिक या लिखित भाषा से अधिक प्रभावी होती है,और प्रेम के क्षणों में ये भाषा काफी कुछ कह जाती है न कहने के बावजूद।इसे मौन की भाषा कहे या मन की भी भाषा भी कह सकते हैं।
आपकी कविता ने काफी कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया है।पुनश्च एक सार्थक,सारगर्भित व गम्भीर रचना के लिए आपको बधाई।
सादर।
Comment by Naval Kishor Soni on August 31, 2012 at 5:23pm

आदरणीय प्रधान संपादक जी आपका और ओ बी ओ परिवार का बहुत बहुत धन्यवाद for featured my blog post.

Comment by Naval Kishor Soni on August 25, 2012 at 11:15am

प्रोत्साहन के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया रेखा जी और सीमा जी .

Comment by Rekha Joshi on August 25, 2012 at 10:13am

मेरे अहसास में होते हो तुम ,
बिन बोलें करती हूँ तुमसे बातें ,
क्या यह नहीं है भाषा ?
और क्या भाषा बिना संभव है यह सब ????,बहुत खूब ,अपने जज़्बात बयाँ बिन बोले भी कर सकते है ,अति सुंदर ,हार्दिक बधाई 

Comment by seema agrawal on August 24, 2012 at 8:21pm

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति नवल जी 

मौन संभाषण से सहज और सुरक्षित तो कोई और  संभाषण हो ही नहीं सकता इस मौन के सम्मान में कुछ प्रस्तुत है 

मौन ही को सुन रहा था आज मौन 
मौन की भाषा समझता और कौन
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय, 'नूर साहब, ग़ज़ल लेखन पर आपके सिद्धहस्त होने से मैंने कब इन्कार किया। परम्परागत ग़ज़ल…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय अजेय जी,  आपकी छंद-रचनाएँ शिल्पबद्ध और विधान सम्मत हुई हैं.  सर्वोपरि, आपके…"
9 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"योग ****    छोटी छोटी बच्चियाँ, हैं भविष्य की आस  शिक्षा लेतीं आधुनिक, करतीं…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय  निलेश जी अच्छी ग़ज़ल हुई है, सादर बधाई इस ग़ज़ल के लिए।  "
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि शुक्ल भैया,आपका अलग सा लहजा बहुत खूब है, सादर बधाई आपको। अच्छी ग़ज़ल हुई है।"
Thursday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
Tuesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
Monday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service