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आपस में भाइयों को लड़ाकर चला गया

शैतान अपना काम बनाकर चला गया
आपस में भाइयों को लड़ाकर चला गया

फिर आदतन वो मुझको सताकर चला गया
हँसता हुआ जो देखा रुलाकर चला गया

उल्फत का मेरी कैसा सिला दे गया मुझे
पलकों पे मेरी अश्क सजाकर चला गया

"जाने से जिसके नींद न आई तमाम रात"
वो कौन था जो ख्वाब में आकर चला गया

बदनाम कर रहा था जो मुझको गली गली
देखा मुझे तो नज़रें झुकाकर चला गया

कातिल को जब वफाएं मेरी याद आ गयीं
तुरबत पे मेरी अश्क बहाकर चला गया

कितनी मशक्कतों से जलाया था इक चराग़
झोंका हवा का आया बुझाकर चला गया

दुनिया जिसे मसीहा समझती है ऐ हिलाल
ज़ख्म-ऐ-जिगर वो और बढाकर चला गया

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Comment

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Comment by आशीष यादव on October 13, 2010 at 6:57am
Behatarin shero se jadit ek shandar ghazal. Kamal h hilal sahab
Comment by Hilal Badayuni on October 12, 2010 at 5:24pm
behad behad shukriya
ganesh ji pathak ji aur fikr sahab jo aap itni muhabbaton se mera kalaam samaat kerte hai wakai aapki samaat k baghair shayri adhuri si rehti hai shukriya
Comment by Ratnesh Raman Pathak on October 12, 2010 at 4:34pm
"जाने से जिसके नींद न आई तमाम रात"
वो कौन था जो ख्वाब में आकर चला गया
bahut hi badhiya rchana hai aapki hilal bhai.....padh kar mann khus ho gaya
Comment by vikas rana janumanu 'fikr' on October 12, 2010 at 11:23am
HIlaal bhayee ........

behad behad umdaa gahzal ..........


"जाने से जिसके नींद न आई तमाम रात"
वो कौन था जो ख्वाब में आकर चला गया

बदनाम कर रहा था जो मुझको गली गली
देखा मुझे तो नज़रें झुकाकर चला गया

ye do sher to bas jaan lene wale hai
kya adaygi hai sahab ........ kya adaygi hai

कितनी मशक्कतों से जलाया था इक चराग़
झोंका हवा का आया बुझाकर चला गया

bahut aam baat, khaas tareeke se kahi gaye ........

जाने से जिसके नींद न आई तमाम रात"

what a reverse thought

clap for u

tad tad tad tad

plzz keep writing and sharing ur work with us

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 12, 2010 at 10:21am
फिर आदतन वो मुझको सताकर चला गया
हँसता हुआ जो देखा रुलाकर चला गया,
वाह हिलाल भाई वाह, हुस्ने मतला का बेहतरीन प्रयोग किया है आपने, बहुत ही खुबसूरत ग़ज़ल,

बदनाम कर रहा था जो मुझको गली गली
देखा मुझे तो नज़रें झुकाकर चला गया,
बेहतरीन शे'र , अभी भी उसमे आदमियत शेष था, जो नजरे झुकाकर चला गया, नहीं तो अब चोरी और सीनाजोरी दोनों एक साथ हो रहा है |
बधाई आपको इस शानदार अभिव्यक्ति पर |

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