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भाई Arun Kumar Pandey जी अभिभूत हूँ आपकी भावपूर्ण टिप्पणी से !!!
विन्देश्वरी भाई जी शुक्रिया !!!
ह्रदय से आभार deepti !!!
"आ प्रिये कि प्रेम का हो एक नया श्रृंगार अब...."
माह की सर्वोत्तम रचना के लिये आपको ढेरों बधाइयाँ.........
भाई विशाल चर्चितजी, आपका हृदय से स्वागत है. सर्जना शब्द को आपने ठीक कर लिया, अच्छा किया. वस्तुतः एक और शब्द अक्षरी-दोष से प्रभावित है, और वह है - श्रृंगार.
तालव्य श में व्यञ्जन र संयुक्त होता है तो श्र होता है. उससे ऋ संयुक्त होता है तो शृ होता है. शृंगार का शृं तालव्य श में ऋ और मात्रा अं के संयुक्त होने से बनता है. शुद्ध अक्षर शृंगार होता है न कि श्रृंगार.
प्रस्तुत रचना के साथ आप द्वारा संलग्न चित्र में शृंगार शब्द सही अक्षरी में अंकित है.
शुभ-शुभ
आदरणीय विशाल जी ... बहुत सुंदर रचना .. बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ
क्या कहने सारे भाव सगुण निर्गुण , समेट लिए हैं आपने इस रचना में ! अदभुत अप्रतिम ! हार्दिक शुभकामनाएं !!
आदरणीय विशाल अर्चन जी, ओ बी ओ नियम 2ग के अनुसारबाहरी लिंक देना मना है, लिंक को प्रबंधन स्तर से हटा दिया गया है, यदि पोस्ट में कोई संशोधन आपेक्षित है तो ओ बी ओ प्रबंधन से अनुरोध कर सकते है अथवा स्वयं भी एडिट कर सकते है ।
आदरणीय Saurabh Pandey जी, आपका ह्रदय से आभारी हूँ. जी हाँ, इस प्रतिष्ठित ब्लॉग पर ये मेरी पहली रचना है, इससे पहले मैं फेसबुक एवं अपने ब्लॉग पर लिखता रहा हूँ. आप मेरी पहले कि रचनाएं वहाँ देख सकते हैं. रहा सवाल सृजना या सर्जना शब्द का तो मुझे आश्चर्य है कि मैंने फेसबुक एवं अपने ब्लॉग पर तो सर्जना ही लिखा है तो यहाँ कैसे बदल गया, जबकि मैंने तो कॉपी पेस्ट किया था.....
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