कर्म ने ही सुखद भाग्य बनाया
गीता में कृष्ण ने यही बताया |
मदद ली जाती है, इसकी समझ धरो
भूलोंसे सीख का मन में उन्माद भरो |
प्रभु के दिए मौके को न जाने दिया करो
उंगलियाँ यूँ ही न सब पर उठाया करो |
बीते वक्त की याद ने मन दुखी कराया
उठों तभी सवेरा है, मन को समझाया |
सपने ने जब सुखद अहसास कराया
नदियां पार करने का साहस आया |
वक्त कीमती है, उसे न यूँ ही जाया करो
जो गया फिर न लौटेगा उसे अपना करो |
कर्म अपना मुक्कमल तो किया करो
उंगलियाँ न यूँ भाग्य पर उठाया करो |
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला
Comment
रचना पसंद करने के लिए हार्दिक धन्यवाद मित्र श्री अशोक कुमार रक्ताले जी
कर्म अपना मुक्कमल तो किया करो
उंगलियाँ न यूँ भाग्य पर उठाया करो |
भगवान् श्री कृष्ण के संदेशों का स्मरण कराती सुन्दर रचना. बधाई.
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online