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ये माटी सभी की कहानी कहेगी ||

कहाँ बदन पर सजी रंगोली
कहाँ हुआ उसका खनन
कब कोई उसमे विलीन हुआ
कहाँ हुआ पूजा हवन
सब युगों युगों तक निशानी रहेगी
ये माटी सभी की कहानी कहेगी |

कहाँ प्यासे जिस्म में पड़ी दरारें
कहाँ निर्बाध जल में नहाया बदन
कहाँ इंसां ने बंजर बनाया
कहाँ लहलहाया मदमस्त चमन
जब तलक हवाओं में रवानी रहेगी
ये माटी सभी की कहानी कहेगी |

कहाँ मेढ़ों ने करे विभाजन
कहाँ जुड़े सांझे आँगन
कहाँ सुने मिलन के गीत
कहाँ बरसा विरह का सावन
इन दस्तावेजों से भरी जिंदगानी रहेगी
ये माटी सभी की कहानी कहेगी |

कब क्यूँ भड़की उर से ज्वाला
कब क्यूँ बहा क्रोध का लावा
कब कहाँ विध्वंसक प्रलय आई
कब रचा गया इतिहास निराला
जब तलक काल चक्र की मनमानी रहेगी
ये माटी सभी की कहानी कहेगी |

जब तब कहीं सिंघासन बदला
हर बार नया राज तख़्त बदला
जब तब युग की तारीखें बदली
इस माटी का कोई रंग ना बदला
जब तलक रवि, चाँद की मेहरबानी रहेगी
ये माटी सभी की कहानी कहेगी
ये माटी सभी की कहानी कहेगी ||
***********************************

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 3, 2012 at 8:28am

सराहना हेतु हार्दिक आभार योग्यता जी |

Comment by Yogyata Mishra on September 2, 2012 at 11:52pm

बहुत ही अच्छी रचना है...मिट्टी की अनोखी कहानी को अद्भुत प्रस्तुतीकरण है....


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 1, 2012 at 5:09pm

हार्दिक आभार दीपक कुल्लुवी जी 

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on September 1, 2012 at 12:34pm

जब तलक हवाओं में रवानी रहेगी 
ये माटी सभी की कहानी कहेगी |

सोच के हर दायरे को छूकर दिल की गहराइयों में खो जाने वाली मार्मिक रचना ...........WAH.....
दीपक शर्मा 'कुल्लुवी'

 

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on September 1, 2012 at 10:48am
बालक का निवेदन समझेँ आदरणीया राजेश कुमारी जी।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 1, 2012 at 10:09am

विन्धेश्वरी जी आपका परामर्श सर आँखों पर जरूर कोशिश करुँगी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 1, 2012 at 10:08am

अशोक कुमार रक्तेला जी हार्दिक धन्यवाद आप सब की प्रतिक्रिया ही मेरी लेखनी का संबल है 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 1, 2012 at 10:04am

बहुत- बहुत हार्दिक आभार रेखा जोशी जी आपको रचना पसंद आई |

Comment by Ashok Kumar Raktale on September 1, 2012 at 8:32am

जब तलक हवाओं में रवानी रहेगी
ये माटी सभी की कहानी कहेगी |
 सुन्दर रचना. बधाई आ. राजेश कुमारी जी.

Comment by Rekha Joshi on August 31, 2012 at 9:18pm

कब क्यूँ भड़की उर से ज्वाला 
कब क्यूँ बहा क्रोध का लावा 
कब कहाँ विध्वंसक प्रलय आई 
कब रचा गया इतिहास निराला 
जब तलक काल चक्र की मनमानी रहेगी 
ये माटी सभी की कहानी कहेगी |,अति सुंदर अभिव्यक्ति आदरणीया राजेश जी ,हार्दिक बधाई 

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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