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आज पुरानी वो यादें  ,
मन को लुभा रही हैं ,
बीत गए वो दिन ,
उनकी याद आ रही हैं ,
कितना अच्छा था बचपन ,
कितने अच्छे थे वो दिन ,
रातों की तो बातें छोड़ो  ,
दिन भी होते थे रंगीन ,
उन्ही बातों से मुझे ,
जिन्दगी बहला रही हैं ,
बीत गए वो दिन ,
उनकी याद आ रही हैं ,
.
पाव मेरे छोटे छोटे ,
हाथ पापा के हाथ में ,
चले जाते थे बेफिकर ,
हम उन्ही के साथ में ,
आज भी लगता यही ,
बचपना बुला रही हैं ,
बीत गए वो दिन ,
उनकी याद आ रही हैं ,
.
बचपन बीती आई जवानी ,
खुद में हम भूल सा गए ,
जिनके हाथ पकड़ चलते थे ,
साथ अब वो छोड़ गए
जब पाँव छोटे साथ चले ,
आई हाथ जब हाथ में ,
वही सुहाना दिन आया ,
ये मन को भा रही हैं ,
बीत गए वो दिन ,
उनकी याद आ रही हैं ,

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Comment

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Comment by Rash Bihari Ravi on September 5, 2012 at 3:25pm

laxman ji saurabh bhaiya rajesh kumari ji yogyata ji bahub bahut bhanyavad

 

Comment by Yogyata Mishra on September 2, 2012 at 11:48pm

its realy hard to frgt d memorable days dt teach us hw to live...best trap of memories...:)


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 2, 2012 at 7:23pm

बीते दिनों की याद को तजा करती रचना बहुत खूब 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 1, 2012 at 11:04pm

भाई रवि जी,.  आपको बहुत दिनों बाद मंच पर देखना सुखद लगा. वह भी रचना के साथ .. वाह वाह !

बधाई

वैसे .. बचपन  और हाथ  पुल्लिंग होते हैं. खैर ..

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 1, 2012 at 6:45pm

बीती दिनों की सुखद यादे बड़ा ही सुकून देती है गिरी साहेब,सुन्दर रचना बधाई 

कृपया ध्यान दे...

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