For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

   
 1.गुरु ज्ञान बाँटते रहे, ले सके वही लेत,
   भभूत समझे तो लगे, वर्ना वह तो रेत |

  
 2.अमल करे तबही बढे, गुरु सबके हीसाथ,
   करम सेही भाग्य बढे, भाग्य उसीके हाथ |

 3. नेता भाषण में  कहें,जाति का नहीं भेद,
   जो फोटू दिखलाय दो, तुरत करेंगे खेद |

4. भेद गरीब अमीर का , नहीं करे करतार,

   करतारही जब न करे,हमको क्यों दरकार |

 5.पुत्र से अगर वंश चले, बेटी भी हकदार,              
 बिन जमींन नहि कुछ उगे, सोंचो तो सरकार |                                                                    
     

 6.बेटा-बेटी सम भले, सम इनके अधिकार
  भेद भाव न फिर करो,बेटी करे गुहार |
 
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला,जयपुर 

Views: 763

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 26, 2012 at 12:45pm

गुरु ज्ञान दोहे पसंद करने पर आपका शुक्रिया श्री फूल सिंहजी

Comment by PHOOL SINGH on September 26, 2012 at 12:17pm

लक्ष्मण जी.......प्रणाम

गुरु के महत्त्व को आपने बखूबी समझाया है.....बहुत ही सुंदर....

फूल सिंह

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 24, 2012 at 4:31pm

धरती बिन क्या उग सके, सोचो तो सरकार ? आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी,

 बिलकुल अच्छा संशोधन सुझाया है आपने, हार्दिक आभार 

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 24, 2012 at 3:41pm

//जमींन बिना न उग सके, सोंचो तो सरकार |  //

धरती बिन क्या उग सके, सोचो तो सरकार ?

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 24, 2012 at 3:38pm

मार्ग दर्शन हेतु हार्दिक आभार अदार्निय सौरभ पाण्डेय जी, जगण (लघु गुरु लघु) पर अभी पकड़ कम है | 

ज़मीन की जगह जमीं और न को ना कर देना ठीक होगा क्या ? 

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 24, 2012 at 1:12pm

आपका प्रयास बेहतर है, लक्ष्मणजी. किन्तु,  छंद शिल्प सतत प्रयास और अध्ययन मंगता है.  आपका प्रयास भला लगता है. अध्ययन भी करते चलें. धीरे-धीरे गेयता के अनुसार आपके छंद सधने लगेंगे.

ध्यातव्य : जगण (लघु गुरु लघु) दोहा छंद के प्रथम और तृतीय चरण में त्याज्य है. जमींन शब्द इसी श्रेणी का है.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 24, 2012 at 5:19am

हार्दिक आभार आदरणीय गणेश जी बागी जी, आप जैसे साहित्य और दोहा विशेषग्य से प्रमाण पत्र मिल गया, मेरा प्रयास सफल हो गया भाई जी 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 23, 2012 at 7:16pm

पुत्र से गर वंश चले, बेटी भी हकदार,              
बिन जमींन नहि कुछ उगे, सोंचो तो सरकार | 

बढ़िया प्रयास है लडिवाला जी, बधाई स्वीकारें |

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 23, 2012 at 12:03pm

दोहे पसंद कर होंसला बढ़ने हेतु हार्दिक आभार भाई श्री हरविंदर सिंह लबाना जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 23, 2012 at 12:02pm

हार्दिक आभार आदरणीय राजेश कुमारी जी, उत्साह एवेम सहयोग यूँ ही बनाये रखे |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति हुई है । हार्दिक बधाई सर"
6 hours ago
Admin posted discussions
8 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"रिश्तों की महत्ता और उनकी मुलामियत पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत हुए हैं, आदरणीय सुशील सरना…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत खूब, बहुत खूब ! सार्थक दोहे हुए हैं, जिनका शाब्दिक विन्यास दोहों के…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय सुशील सरना जी, प्रस्तुति पर आने और मेरा उत्साहवर्द्धन करने के लिए आपका आभारी…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय भाई रामबली गुप्ता जी, आपसे दूरभाष के माध्यम से हुई बातचीत से मन बहुत प्रसन्न हुआ था।…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय समर साहेब,  इन कुछेक वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है। प्रत्येक शरीर की अपनी सीमाएँ होती…"
20 hours ago
Samar kabeer commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"भाई रामबली गुप्ता जी आदाब, बहुत अच्छे कुण्डलिया छंद लिखे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
yesterday
AMAN SINHA posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . विविधदेख उजाला भोर का, डर कर भागी रात । कहीं उजागर रात की, हो ना जाए बात ।।गुलदानों…See More
Wednesday
रामबली गुप्ता posted a blog post

कुंडलिया छंद

सामाजिक संदर्भ हों, कुछ हों लोकाचार। लेखन को इनके बिना, मिले नहीं आधार।। मिले नहीं आधार, सत्य के…See More
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service