1.गुरु ज्ञान बाँटते रहे, ले सके वही लेत,
भभूत समझे तो लगे, वर्ना वह तो रेत |
2.अमल करे तबही बढे, गुरु सबके हीसाथ,
करम सेही भाग्य बढे, भाग्य उसीके हाथ |
3. नेता भाषण में कहें,जाति का नहीं भेद,
जो फोटू दिखलाय दो, तुरत करेंगे खेद |
4. भेद गरीब अमीर का , नहीं करे करतार,
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हार्दिक शुक्रिया आपका आदरणीय भाई श्री राज नवादवि जी, आपकी तो गजले ही लाजवाब होती है, अगर काव्य से अच्छा सन्देश मिलता है, तो लिखना सफल हो जाता है |
1.गुरु ज्ञान बाँटते रहे, ले सके वही लेत,
भभूत समझे तो लगे, वर्ना वह तो रेत |
बहुत खूब, आखिरकार बात अकीदे पे आती है, गुरु तो देता है, हम कितने एह्तियात, सुपुर्दगी, और हवालगी से उसे लेते और रखते हैं, ये तो हमपे ही मुन्हसिर है. बधाई हो ज्ञान भरे दोहे लिखने पे भाई लक्ष्मण जी!
Umda, Or behad prasangik Dohe.. Sajha karne ke liye Aapka Hardik Aabhar Laxman ji....
Badhai Swikaar karein..
बहुत शिक्षाप्रद दोहे बहुत बधाई लक्ष्मण जी
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