सिपाही, दूर घर से खड़ा सीमा पर..
अपनी मातृभूमि की रक्षा को...
जो समर्पित है चिर काल से..
अपने देश के लिए अर्पण को..
सिपाही, जिसका घर सीमा पर बनी चौकियां हैं..
सिपाही, जिसका परिवार उसके साथ खड़े भाई हैं..
सिपाही, जो सर्द रातों में भी थकता नहीं है...
सिपाही, जो जेठ की दुपहरी में भी रुकता नहीं है...
वो सिपाही, जिसके लिए तिरंगा उसकी शान है...
सिपाही, जिसके लिए राष्ट्र, उसकी जान है...
सिपाही, जो छोड़ता नहीं मैदान..
शहादत को गले लगाने तक..
सिपाही, जिनके दम पर है बुलंद हिंदुस्तान.
क़यामत होने तक....
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सिपाही, जो छोड़ता नहीं मैदान..
शहादत को गले लगाने तक..
सिपाही, जिनके दम पर है बुलंद हिंदुस्तान.
क़यामत होने तक.,अति सुंदर भाव हरविंदर जी ,हार्दिक बधाई
सिपाही, जिसका घर सीमा पर बनी चौकियां हैं..
सिपाही, जिसका परिवार उसके साथ खड़े भाई हैं..
सिपाही, जो सर्द रातों में भी थकता नहीं है...
सिपाही, जो जेठ की दुपहरी में भी रुकता नहीं है...
- प्रिय हरविंदर जी, आँखें नम हो जाती हैं ये पढ़कर, कितना कुछ रखा है इक सिपाही के काँधे, दिल, बाजू, और सर पर. बड़ी ही भावपूर्ण कविता. बधाई हो!
Adarniya Laxman Prasad Ladiwala ji Aapka Behad Shukriya..
Er. Ganesh Jee "Bagi" Sir mein Vishwash dilata hun ki Is group mein Apni Sakriya Bhagidaari nibhaunga.... Aapki Badhai ke liye Aapka Tah-e-Dil Se Shukriya....
सिपाही को सादर नमन और सिपाही की वीरता के गुणगान करने वाले श्री हरविंदर सिंह लबाना को हार्दिक बधाई
सिपाही ही तो है जिसके बदौलत हम अपने घरों में चैन की नींद सोते है, सलाम है उन वीर बाकुरों को, बहुत ही अच्छी रचना, बहुत बहुत बधाई हरविंदर सिंह जी, उम्मीद है कि आगे भी आपकी रचनाओं एवं अन्य सदस्यों की रचनाओं पर आपके बहुमूल्य विचारों से हम सभी लाभान्वित होते रहेंगे |
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