For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

काले किले का वो काला कलाल

यह रचना हास्य के लिए रची गयी है, कृपया अपना दिमाग साइड में रख दें , और अपने बचपन की शरारतों भरी यादों में खो जाएँ :

 

काले किले का वो काला कलाल
भोलू के भाले में अटका वो बाल |
मामा के मोहल्ले का माल-पुआ
गुल्लू की गाली का गुलाब जामुन
पुणे के पानी को पीने को जाना
पान चबाकर वो पाना ले आना
गन को दिखाकर वो गाना तो गाना
गुनगुना के वो धुन गुनगुनाना
ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला
लाला की लाल लुना लहराना
लाल किले में लीला को ले जाना
नाले के नल में नीला नहलाना
गीले में गाली से गिले मिटाना
गीली सी गोली को गल से गलाना
चाल चलकर चाल चलाना
चूल्हा जलाकर चूहा छकाना
बोर हो कर बोर खाना
बोरी बनकर बहार जाना
बहना से बहाना बनाना
banana खाके बात बनाना
जल को जला के जलजला लाना
बल को बढ़ा के बाल घुमाना
खोल के खिलौने के खाने को
कान खुजा कर खाना खाना |
तेल को तल के ताल बनाना
ताले के तले को ढोल बनाना |
मिठ्ठू को मट्ठे और मठरी खिलाना
मटके में मिटटी मटक कर मथना |
कूड़े में काड़ी , सड़क पर गाडी
मम्मी की साड़ी, भैया की लाड़ी
किताब क्यूँ फाड़ी, चद्दर क्यूँ नहीं झाड़ी |
घडी क्यों है अड़ी, मार क्यों है पड़ी
मौसंबी क्यों है सड़ी, मुसीबत हुई आ खड़ी |

Views: 833

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 25, 2012 at 4:14pm

हा हा हा हा ...बहुत मजेदार रचना है. इतना कन्फ्यूज्ड बचपन.

Comment by Rohit Dubey "योद्धा " on September 25, 2012 at 12:24pm

हा हा हा हा हा ....... लगता है अप लोगों को मज़ा तो ज़रूर आया 

Comment by seema agrawal on September 24, 2012 at 3:34pm

ये हुयी न बात सौरभ जी अब  दुगना मुरब्बा बनेगा  ........

इस पोस्ट से विदा लेती हूँ नहीं तो ये तिगुना हो जायेगा _/\_  :-))))))))))))


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 24, 2012 at 3:18pm

जी, समझ गया था. छेका व वृत्यानुप्रास का विशद उपयोग है.

Comment by seema agrawal on September 24, 2012 at 2:43pm

न न सौरभ जी गंभीरता से शिल्प देखिये ज़बरदस्त अनुप्रास है इस पंक्ति में 

ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला 
लाला की लाल लुना लहराना


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 24, 2012 at 2:40pm

लऽ.. इहेऽऽ..  सीमाजी लइकबुद्धि देखवली..   कुल्हि अक्षर गिने पर लग गयीं हैं..   :-))))))))))

जय होऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 24, 2012 at 2:38pm

यानि आप अपनावाला बहिराये हैं ? वही कहे हम जे एतना पेंच काहें है..  

अब अचार बनाना कैंसिल..  इसका मुरब्बा बनेगा

हा हा हा हा..

Comment by seema agrawal on September 24, 2012 at 2:34pm

गणेश जी ऐसा नहीं की इसमे बिलकुल भी दिमाग नहीं लगाना है, ज़रा गिनिए तो कितने 'ल' हैं इसमे 

ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला 
लाला की लाल लुना लहराना 
लाल किले में लीला को ले जाना 
नाले के नल में नीला नहलाना 
गीले में गाली से गिले मिटाना 
गीली सी गोली को गल से गलाना 
चाल चलकर चाल चलाना 
चूल्हा जलाकर चूहा छका

 कुछ तो बात है रोहित भाई में ...............


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 24, 2012 at 2:30pm

सौरभ भईया रोहित भाई ने शुरू में ही लिख दिया था कि "कृपया अपना दिमाग साइड में रख दें " इसलिए मैं दिमाग को साइड में रख दिया था :-)))))))))


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 24, 2012 at 1:15pm

गणेशभाई, अच्छा किया आपने कि आप ’नारियल’ फोड़ के उसका गुद्दा निकाल लाये. रोहित भाई से कहिये वे इसका अब अचार डालें.

हा हा हा...................

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"सीख गये - गजल ***** जब से हम भी पाप कमाना सीख गये गंगा  जी  में  खूब …"
2 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"पुनः आऊंगा माँ  ------------------ चलती रहेंगी साँसें तेरे गीत गुनगुनाऊंगा माँ , बूँद-बूँद…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"एक ग़ज़ल २२   २२   २२   २२   २२   …"
9 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"स्वागतम"
21 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
21 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service