राह में पड़ी चट्टान ,
चढ़कर पार करूँ,या
इसे हटाकर नयी राह,
नया दस्तूर बना दूँ,
दोनी ही विकल्प,
खड़े सामने .......
...........................................
भविष्य की चिंता छोड़ ,
इतिहास बनाने हम .....
चले वर्तमान का ..
दामन थामने...
और जब चट्टान
हटा दी राह से ,
इतिहास पीछे खड़ा ,
सराह रहा था ..और
भविष्य सामने खड़ा
मुस्कुरा रहा था......!!!!!
रचनाकार -सतीश अग्निहोत्री
Comment
सादर धन्यवाद .......PHOOL SINGH ji & Rajesh Kumar Jha
सार्थक संदेश देती एक बढि़या रचना के लिए बधाई स्वीकार करें, सादर
सतीश जी नमस्कार
बहुत ही भावपूर्ण रचना....
फूल सिंह
बहुत बहुत धन्यवाद् ..मुकेश जी
सतीश जी इस अभिव्यक्ति के लिए बधाई !
धन्यवाद् ....आपके ख़ूबसूरत शब्दों के लिए .....!!!!!!आभार !!!!!!....Dr.Prachi Singh ji
बहुत खूबसूरत अंदाज़ इस कविता का... हार्दिक बधाई स्वीकारें आ. सतीश अग्निहोत्री जी इस प्रभावशाली अभिव्यक्ति के लिए.
उत्साहवर्धन एवं शुभकामनाओ के लिए .....शुक्रिया...rajesh kumari JI
और जब चट्टान
हटा दी राह से ,
इतिहास पीछे खड़ा ,
सराह रहा था ..और
भविष्य सामने खड़ा
मुस्कुरा रहा था......!!!!!--बहुत सुन्दर पंक्तियाँ बहुत अच्छा लिखा शुभकामनाएं
धन्यवाद् ..योगी जी....
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