For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राह में पड़ी चट्टान ,
चढ़कर पार करूँ,या
इसे हटाकर नयी राह,
नया दस्तूर बना दूँ,
दोनी ही विकल्प,
खड़े सामने .......
...........................................
भविष्य की चिंता छोड़ ,
इतिहास बनाने हम .....
चले वर्तमान का ..
दामन थामने...
और जब चट्टान
हटा दी राह से ,
इतिहास पीछे खड़ा ,
सराह रहा था ..और
भविष्य सामने खड़ा
मुस्कुरा रहा था......!!!!!

रचनाकार -सतीश अग्निहोत्री

Views: 796

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Satish Agnihotri on September 26, 2012 at 1:22pm

सादर धन्यवाद .......PHOOL SINGH ji & Rajesh Kumar Jha

Comment by राजेश 'मृदु' on September 26, 2012 at 12:28pm

सार्थक संदेश देती एक बढि़या रचना के लिए बधाई स्‍वीकार करें, सादर

Comment by PHOOL SINGH on September 26, 2012 at 12:14pm

सतीश जी नमस्कार

बहुत ही भावपूर्ण रचना....

फूल सिंह

Comment by Satish Agnihotri on September 25, 2012 at 11:03pm

बहुत बहुत धन्यवाद् ..मुकेश जी

Comment by Mukesh Sharma on September 25, 2012 at 10:47pm

सतीश जी इस अभिव्यक्ति के लिए बधाई !

Comment by Satish Agnihotri on September 25, 2012 at 4:13pm

धन्यवाद् ....आपके ख़ूबसूरत शब्दों के लिए .....!!!!!!आभार !!!!!!....Dr.Prachi Singh ji


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 25, 2012 at 3:59pm

बहुत खूबसूरत अंदाज़ इस कविता का... हार्दिक बधाई स्वीकारें आ. सतीश अग्निहोत्री जी इस प्रभावशाली अभिव्यक्ति के लिए.

Comment by Satish Agnihotri on September 25, 2012 at 11:58am

उत्साहवर्धन एवं शुभकामनाओ के लिए .....शुक्रिया...rajesh kumari JI


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 25, 2012 at 11:46am

और जब चट्टान
हटा दी राह से ,
इतिहास पीछे खड़ा ,
सराह रहा था ..और
भविष्य सामने खड़ा
मुस्कुरा रहा था......!!!!!--बहुत सुन्दर पंक्तियाँ बहुत अच्छा लिखा शुभकामनाएं 

Comment by Satish Agnihotri on September 25, 2012 at 11:35am

धन्यवाद् ..योगी जी....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
17 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
18 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
18 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service