For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हम स्वछंद हैं कवि .....

हम स्वछंद हैं कवि .....

हमको नहीं छंद अलंकार का है ज्ञान ,
हम स्वछंद हैं कवि बस भाव हैं प्रधान .

आचार्य गिन मात्रा कहते लिखो निर्धन ,
लिखा अगर गरीब तो क्या हो जायेगा श्रीमान !

हालात जो देखे सीधे सीधे लिख दिए ,
पढ़कर ''वे'' बोले व्याकरण का कुछ तो रखते ध्यान .

कहते अलंकार से कविता का कर श्रृंगार ,
हम 'रबड़ के छल्ले ' देते न उनको कान .

है नहीं कविता में अपनी प्रतीक ,बिम्ब,गुण ,
जूनून है बस लिखने का न आप हों परेशान .

हमको नहीं छंद , अलंकार का है ज्ञान ,
हम स्वछन्द हैं कवि बस भाव है प्रधान !!

डॉ शिखा कौशिक 'नूतन'

Views: 496

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on October 5, 2012 at 9:41am

बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीया सिखा जी
बहुत उत्तम सन्देश परक रचना के बधाई स्वीकार कीजिये

Comment by वीनस केसरी on October 4, 2012 at 11:13pm

डॉ. शिखा जी आपकी स्वछंदता को कोटि कोटि प्रणाम व सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बधाई

Comment by seema agrawal on October 4, 2012 at 8:48pm

बहुत सादगी और बेबाकी से बात कही है शिखा जी  आपने ............. फिर भी
ज्ञान ,प्रधान ,ध्यान
श्रीमान कान, परेशान
आदी तुक युक्त शब्दों का
है आपको सम्यक ज्ञान 
काव्य से आप नहीं
लगती अनजान 
यूं ही पहनाती  रहिये
अपने भावों को 
शब्दों का परिधान .....शुभकामनाएं 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 4, 2012 at 8:36pm

बहुत स्वछन्द भावाभिव्यक्ति  हर इंसान की अपनी अलग पहचान है 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 4, 2012 at 6:34pm

सभी पहले होते है  कवि स्वछन्द

उनकी भी अभियक्ति करते पसंद 
फिर मर्मग्य शिल्प का ध्यान  
हो जाता स्वछन्द कवि को भान |
हमें भी यूँ ही समझ अब आई 
अभिव्यक्ति पर आपके बधाई | 

 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 4, 2012 at 6:08pm

सुन्दर आत्म-स्वीकारोक्त अभिव्यक्ति.

स्वच्छंदता के दायरे बहुत बड़े होते है, और उसमें भाव बिखर भी सकते है, पर यदि उन भावों को शिल्प की सीमाएं प्रवाह व व्याकरण का श्रृंगार मिले तो बिखराव, निखार में बदल जाता है....... आगे रचनाकार क्या तय करना चाहता है, इसकी स्वच्छंदता तो उसको सदा ही रहती है..

हार्दिक शुभकामनाएं .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
32 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
3 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
3 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service