For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हमने शेरों को ठिकाने दिये हैं
आज गीदड़ हमें डराने लगे हैं

जिनके हाथों में रहनुमाई दी थी
बस्तियाँ हमारी वो जलाने लगे हैं

जिन्हे धर्म का मतलब नहीं पता
लोग क़ाज़ी उन्हें बनाने लगे हैं

लूट-खसोट, धोखा जिनका ईमान
वो तहज़ीब हमको सिखाने लगे हैं 

जो आए तो थे ख़बर हमारी लेने
हौंसला देख ख़ुद लड़खड़ाने लगे हैं

Views: 370

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नादिर ख़ान on October 10, 2012 at 11:08am

कृपया, भाई वीनस की जगह भाई वीनस जी पढ़ें लिखने में हुयी त्रुटि के लिए क्षमा चाहता हूँ  ।

Comment by नादिर ख़ान on October 10, 2012 at 11:05am

भाई वीनस आपकी दाद पाकर हम कृतज्ञ हुये 

आपका बहुत आभार ।

बहुत कोशिश कर रहे है सीखने की पर अभी भी वज्न,और बह्र मे अटक जाते हैं 

(आप हंसना मत कल ही पता चला की वज्न का माने मात्रा होता है)

कभी कभी टिप्स दे दिया कीजिये ताकि सीखने मे आसानी हो 

वैसे गज़ल की कक्षा में शामिल हो गए  हैं ।

openbooksonline के सभी  कार्यकारी सदस्यों का जीतना आभार व्यक्त करे कम है ।आप लोग,

हम जैसे गज़ल के अंगूठा छाप लोगों का मार्गदर्शन कर रहे है,   दिल से पुनः आभार ।

Comment by वीनस केसरी on October 10, 2012 at 2:27am

वाह वाह आदरणीय नादिर साहब समाज कि विसंगतियों को खूब रेखांकित किया आपने

जिनके हाथों में रहनुमाई दी थी
बस्तियाँ हमारी वो जलाने लगे हैं

जिन्हे धर्म का मतलब नहीं पता
लोग क़ाज़ी उन्हें बनाने लगे हैं

कथ्य की जितनी तारीफ़ करूं कम है
सादर

Comment by नादिर ख़ान on October 9, 2012 at 3:45pm

बहुत शुक्रिया संदीप जी

आभार।

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on October 9, 2012 at 1:05pm

वाह क्या बात है
बेहद खूबसूरत अंदाज
दाद क़ुबूल कीजिये

Comment by नादिर ख़ान on October 9, 2012 at 9:59am

बहुत शुक्रिया,एवं आभार  राजेश कुमारी जी ।

आप लोगों की दाद से लिखने की प्रेरणा मिलती है ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 9, 2012 at 9:00am

नादिर खान जी एक अच्छी ग़ज़ल के लिए दाद कबूल करें 

Comment by राज़ नवादवी on October 8, 2012 at 7:41pm

शुक्रिया आपकी ज़र्रानवाजी का. 

Comment by नादिर ख़ान on October 8, 2012 at 4:25pm

हौसला अफजाई के लिए बहुत शुक्रिया राज़ भाई 

हमने गज़ल लिखना इसी साल से शुरू किया है 

पहले कविताएँ लिखा करते थे ।

इसलिये समझिए की गज़ल की अलिफ,बे  सीख रहे है 

उम्मीद है आप मार्गदर्शन बनाये रखेंगे ।

Comment by राज़ नवादवी on October 8, 2012 at 2:05pm

खूबसूरत मतला है-

//हमने शेरों को ठिकाने दिये हैं
आज गीदड़ हमें डराने लगे हैं//

बधाई हो. भाई नादिर साहेब.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service