For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैं निर्मल ,निःस्वार्थ 

प्रस्फुटित हुआ 

एक अभिप्राय के निमित्त 

हर लूँगा सबका  अभिताप  ,व्यथा 

अपनी अनुकम्पा से 

अलौकिक अभिजात मलय 

के आँचल की छाँव  में 

श्वास लेकर बढ़ता रहा 

कब मेरी जड़ों में 

वर्ण, धर्म भेद मिश्रित 

नीर मिलने लगा 

कब वैमनस्य ,स्वार्थ परता 

की खाद डलने लगी

पता ही नहीं चला 

विषाक्त भोजन 

विषाक्त वायु ,नीर 

से मेरे अन्दर कसैला 

जहर भरता गया

फिर जो ग्रहण किया

 वो ही वितरित करने लगा 

हर जगह जहरीले दीमक  

पनपने लगे और मेरी ही 

जड़ों को खोखला करने लगे 

कब धरा शाई हो जाऊं 

क्या पता उससे पहले 

मैं ढूंढता हूँ  उस ब्रह्मांड 

के रचयिता को  

जो ना जाने कहाँ छुप गया 

मुझे भ्रमित करके 

मेरे प्रयोजन की

 राह अवरुद्ध करके 

कहाँ है तू ?

मेरे मनस्ताप से मुझे मुक्त कर 

आगे की राह दिखा |

जाते जाते कोई 

नेक कर्म कर जाऊं 

जितना गरल वितरित किया 

वो वापस खुद ही पी जाऊं 

आवाज दे कहाँ है 

वो तेरी शक्ति ?? 

 *************

Views: 370

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 17, 2012 at 9:12am

हार्दिक आभार अशोक कुमार जी इस उत्साह वर्धन हेतु 

Comment by Ashok Kumar Raktale on October 17, 2012 at 9:07am

फिर जो ग्रहण किया

 वो ही वितरित करने लगा 

जटिल समस्या किन्तु सरल भाव सुन्दर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें आदरेया राजेश कुमारी जी.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 16, 2012 at 10:57am

सादर आदरणीया .. .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 16, 2012 at 10:29am

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आपकी पारखी  विश्लेषणात्मक प्रतिक्रिया से रचना धन्य हुई ह्रदय से आभारी हूँ नवरात्र की शुभकामनाएं 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 16, 2012 at 9:54am

व्यष्टि को समष्टि में परिवर्तित होने से वंचित करते कारणों पर आपका गहन चिंतन रचना में उभर कर आया है.

सादर शुभकामनाएँ.. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 16, 2012 at 9:17am

हार्दिक आभार सतीश मापत पुरी जी नवरात्र की शुभकामनाएं 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 16, 2012 at 9:16am

हार्दिक आभार वीनस केसरी जी नवरात्र की शुभकामनाएं 

Comment by satish mapatpuri on October 16, 2012 at 12:06am

मानव - मन की विशद व्याख्या एवं प्रस्तुति के लिए बधाई राजेश कुमारी जी

Comment by वीनस केसरी on October 15, 2012 at 11:21pm

आदरणीया,
मानव मन और 'सुभाव' की बहुत महीन पडताल करती सुन्दर काव्य प्रस्तुति के लिए बारम्बार बधाई स्वीकारें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"रिश्तों की महत्ता और उनकी मुलामियत पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत हुए हैं, आदरणीय सुशील सरना…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत खूब, बहुत खूब ! सार्थक दोहे हुए हैं, जिनका शाब्दिक विन्यास दोहों के…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय सुशील सरना जी, प्रस्तुति पर आने और मेरा उत्साहवर्द्धन करने के लिए आपका आभारी…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय भाई रामबली गुप्ता जी, आपसे दूरभाष के माध्यम से हुई बातचीत से मन बहुत प्रसन्न हुआ था।…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय समर साहेब,  इन कुछेक वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है। प्रत्येक शरीर की अपनी सीमाएँ होती…"
5 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
7 hours ago
Samar kabeer commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"भाई रामबली गुप्ता जी आदाब, बहुत अच्छे कुण्डलिया छंद लिखे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
12 hours ago
AMAN SINHA posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . विविधदेख उजाला भोर का, डर कर भागी रात । कहीं उजागर रात की, हो ना जाए बात ।।गुलदानों…See More
yesterday
रामबली गुप्ता posted a blog post

कुंडलिया छंद

सामाजिक संदर्भ हों, कुछ हों लोकाचार। लेखन को इनके बिना, मिले नहीं आधार।। मिले नहीं आधार, सत्य के…See More
Tuesday
Yatharth Vishnu updated their profile
Monday
Sushil Sarna commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"वाह आदरणीय जी बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल बनी है ।दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं सर ।"
Nov 8

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service