For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

झाँको 

कल फिर से जलेगा रावण
मन शांत और दिन पावन
रौनक छाई चेहरों पे ऐसे
पतझड़ में जैसे आया सावन
रावण को जलाने से पहले
अपनें भीतर भी झांको
उसके कर्मों से प्यारे
अपनें कुकर्म भी आँको
उन्नीस बीस का फर्क दिखेगा
उसके ज्यादा कुछ न मिलेगा
रावण तो था शूरवीर
पंडित था महाज्ञानी था
सीता जी का हरण किया
इसीलिए वह पापी था
उसी पाप की सजा बेचारा
आज तक वह भुगत रहा है
जिस पाप ने उसकी कीर्ति मिटा दी
उसी की आग में जल रहा है
क्या उसनें कभी रिश्वत ली ?
क्या दूध में मिलावट की ?
क्या बलात्कार किया किसी अबला का ?
क्या भ्रूण हत्या कभी की ?
क्या दहेज़ की खातिर बहू जलाई ?
क्या कभी उसने घूस खाई ?
क्या कभी किया कोई घोटाला ?
क्या अश्लील सी० डी० बनवाई
यह वोह सारे पाप हैं जो
हम सब मिलकर करते हैं
फिर भी शर्मसार होते नहीं
और सर उठाकर चलते हैं
.
दीपक शर्मा कुल्लुवी
9350078399
23 -10 -12 .

Views: 415

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 25, 2012 at 11:34am

आज कल अनैतिकता का रूप विकराल हो चूका है या कहिये स्टेंडर्ड बढ़ गया है जिसे देख रावण इस सांचे में फिट नहीं बैठता उसकी गलती इस पहाड़ के सामने राई जैसी दिखती है ---आज ना तो वो रावण रहा ना वो राम हैं तो बस उच्च दर्जे के राक्षस  जो इंसानियत को खाए जा रहे हैं ना जाने इनका अंत कैसे होगा ---बहुत बढ़िया प्रस्तुति हार्दिक बधाई आपको 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 24, 2012 at 7:29pm

वो ज़माना कुछ और था जब नैतिकता का तकाज़ा सिर चढ़ कर बोलता था. नृप भले कोई हो उसका असंयमित होना तक समाज स्वीकार नहीं कर पाता था. परिणति ? एक सीमा के बाद दशानन का प्रतिरूप रावण आजतक बुराइयों का प्रतिनिधित्व करता हुआ हर साल अग्नि को समर्पित होता है. आज ज़माना कुछ और है. क्या नहीं करता आज ’सहस्रानन’, मुखौटों में जीता हुआ ! फिर भी, वह उसी समाज का प्रतिनिधित्व करता है जिसे स्वयं पीड़ित रखता है.

भाई दीपक शर्माजी, आपकी प्रस्तुत कविता बहुत कुछ बोलती है. बहुत कुछ पूछती भी है. वह भी जिनके शब्द नहीं बने हैं.. .

बहुत-बहुत बधाई व विजया की शुभकामनाएँ.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 24, 2012 at 7:05pm

//अपनें कुकर्म भी आँको
उन्नीस बीस का फर्क दिखेगा
उसके ज्यादा कुछ न मिलेगा//

आदरणीय दीपक कुल्लवी जी, इस बार तो आपने कहर ढ़ा दिया, बहुत ही सुन्दर संदेशों का सम्प्रेषण और वो भी तीखे अंदाज में | बहुत कम रचनाएँ इस कलेवर की मिलती हैं, इस अभिव्यक्ति पर बहुत बधाई और दशहरा पर्व की हार्दिक शुभकामनायें स्वीकार हो |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"क्या ही कथ्य, क्या ही तथ्य और क्या ही प्रवाह .. वाह वाह वाह ..  आदरणीय अशोक भाईजी, आपने…"
23 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"युद्ध की विभीषिका की चेतावनी देती उत्तम रचना हुई आ॰ अशोक जी। सभी भाव पसंद आए।"
30 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय। परिवर्तित मतला और शेर भी बहुत प्रभावी बन पड़ा है। मंच को लाभान्वित करने…"
33 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"अच्छे दोहे हुए हैं लक्ष्मण भाई। सार्थक और विषयानुकूल। बहुत बढ़िया "
34 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"धन्यवाद आदरणीय अशोक जी "
42 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आभार गिरिराज जी "
43 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"बहुत बहुत आभार आदरणीय सौरभ जी "
43 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सुशील सरनाजी, यदि आप चर्चा की गंभीरता को वाकई समझ रहे हैं तो यह अवश्य ही उचित है, कि संवादो…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई। 'नाश सृष्टि का…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और असीम स्नेह के लिए आभार।"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"परम आदरणीय गिरिराज भंडारी जी एवं सौरभ पाण्डेय जी  इस वार्ता को यहीं समाप्त करना  उचित…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय अशोक भाई प्रदत्त विषय पर बढ़िया गीत रचना हुई , हार्दिक बधाइयां "
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service