For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

करवाचौथ की फुलझड़ियाँ "माहिया"

"माहिया" में  पति पत्नी की चुहल बाजी  मात्रा १२,१०,१२ कही कहीं गायन की सुविधा के लिए एक दो मात्रा कम या ज्यादा हो सकती हैं

(पत्नी )

सास को बुलाऊंगी 
जब अपना पहला 
करवाचौथ मनाउंगी 
(पति )
मम्मी जी आ जाना 
पर्व  के बहाने
तुम पाँव  दबवा  जाना 
(पत्नी )
सासू जी आ जाना 
ले कर  शगुन  अपने 
कंगन देती जाना 
(पति )
चंदा जब आएगा 
बदरी छटने दो 
साजन मुस्काएगा 
(पत्नी )
इमली  का वो  बूटा 
तेरे लिए सजना 
मेरा प्यार ना  झूठा 
(पति )
ये  दिन तो  अपना है
पूजा हो मेरी  
इक साल का सपना है 
 (पत्नी )
तू देख  तरस खाना 
ऐ प्यारे चंदा 
जरा  जल्दी आ जाना 
(पति )
मौसम ये  सुहाना है 
तरसने दो नैना 
फुर्सत से जाना है 
(पत्नी )
जरा जल्दी आ जाना 
मेरे लिए  पंद्रह 
रसमलाई ले आना 
(पति )
रसमलाई खाना है 
आदत है तेरी 
उपवास  बहाना है 
(पत्नी )
यूँ मुझे  सताओगे 
रूठ गई मैं तो 
टसुवे तुम बहाओगे 
(पति )
ऐसी भी दूरी ना
करवे का उत्सव 
कोई मजबूरी ना 
(पत्नी )
ज्यादा ना माँगूंगी
हीरे के नेकलिस 
से  काम चला लुंगी 
(पति )
जाँ पे बन आई है 
 तुझे कहूँ कैसे 
तनखा ना  आई है  
(पत्नी )
मैके चली जाउंगी 
मुझे  सताओगे 
वापस ना आउंगी 
(पति )
पत्नी के जमाने हैं 
चल अब  मान गया 
सात वचन निभाने हैं 
(पत्नी )
बड़ा पुण्य कमाया है 
किस्मत है तेरी 
जो मुझको पाया है 
(पति )
खुशियों की ये घड़ियाँ 
 बंद करें अब हम
ये कड़वी फुलझड़ियाँ 
(दोनों )
ये दिवस  सुहाना है 
     करवे का उत्सव
   ख़ुशी से  मनाना है
********************

Views: 1399

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 16, 2013 at 9:01am

आदरणीय लक्ष्मण जी माहिया की ये फुलझड़ियाँ  आपको रुचिकर लगी दिल से आभारी हूँ

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 15, 2013 at 10:25pm

करवा चौथ से लेकर दीपावली तक फूल्झडिया छुडाने का आनंद देती पति, पत्नी के मध्य चुहलबाजी बेहद पदंड आई | 

हार्दिक बधाई आदरणीया राजेश कुमारी जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 15, 2013 at 9:39pm

हार्दिक आभार किशन कुमार जी आपको माहिया पसंद आया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 15, 2013 at 8:46pm

प्रिय सरिता जी माहिया आपको पसंद आये हार्दिक धन्यवाद मेरी प्रोफिल में  विडियो मे जाकर  इसी माहिया की विडियो भी आप देख सकती हैं 

Comment by Sarita Bhatia on July 15, 2013 at 6:11pm

वाह राजेश दी मजा आ गया 

आपने तो पंजाबी का वोह स्टाइल याद दिला दिया 

हम पंजाबी में इसे टप्पे बोलते हैं शादी ब्याह में यह बोलते हुए आपस में compitition करते थे एक ग्रुप एक बोलता तो दूसरा ग्रुप दूसरा बोलता 

शुक्रिया योगराज जी इसकी जानकारी देने के लिए 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 3, 2012 at 3:59pm

मैं समझ तो गई योगराज जी  माफ़ कीजिये मैं मात्राओं का टोटल हर पंक्ति के हिसाब से लिख रही थी जैसे एक एक पंक्ति में कुल 12  मात्राएँ 


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 3, 2012 at 3:42pm

12 12 12 नहीं राजेश कुमारी जी 22+22+22


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 3, 2012 at 3:30pm

आदरणीय योगराज जी माहिया की इतनी अच्छी जानकारी देने के लिए हार्दिक आभार इसका मतलब तीनो पंक्तियाँ १२,१२,१२ होनी चाहिए मुझे तो अभी तक १२,१०,१२ की ही जानकारी थी चलिए आगे से ठीक करेंगे 

एक बार फिर से शुक्रिया 

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 3, 2012 at 3:00pm

माहिया पंजाबी भाषा की एक बेहद मशहूर और सदाबहार विधा का नाम है। दरअसल यह एक त्रिपदी है, जिसमे एक स्वतंत्र पद तथा एक शेअर होता है। हालाकि पहले पद का शेअर से सम्बन्ध होना आवश्यक नहीं किन्तु यह शेअर की जमीन तय करता है।  पंजाबी के इलावा उर्दू में भी इस विधा पर (खासकर पाकिस्तान में) बहुत उच्चस्तरीय काम हो रहा है।  हमारे यहाँ हिंदी में भी बहुत से लोग इस विधा पर सफलतापूर्वक कलम आजमाई  कर रहे हैं जिसे अंतर्जाल पर बड़ी आसानी से खोजा जा सकता है। हिंदी फिल्म "पति पत्नी और वो" में स्व संजीव कुमार एवं अभिनेत्री विद्या सिन्हा पर फिल्माया गया मशहूर माहिया (गीत) कौन भुला सकता है 

"कोठे ते काँ बोले
उस दिन को देखूं
जिस दिन तू हाँ बोले"

इस माहिये में पहले पद का अगली दो पंक्तियों से कोई सीधा सम्बन्ध नहीं, सिर्फ अगले शेअर की ज़मीन तैयार करने की कवायद है।  

इस माहिया का अगला बंद देखें

क्या नाम तुम्हारा है
उम्र तो काफी है
अब तक तू कुंवारा है

यहाँ पहला बंद ज़मीन तैयार करने के इलावा स्वतंत्र नहीं बल्कि त्रिपदी का ही हिस्सा लग रहा है।

 इस विधा के शिल्प विधान से सम्बंधित कोई ज्यादा जानकारी मौजूद नहीं। किन्तु लाहोर पाकिस्तान से शाहमुखी (लिपि उर्दू लेकिन भाषा पंजाबी) में प्रकाशित जनाब सादिक तासीर साहिब की पुस्तक "पंजाबी दा अपना अरूज़" में इस विधा के शिल्प स्वरुप पर बहुत विस्तृत जानकारी दी गई है। जिसके अनुसार माहिये में के हरेक पद में 3 फेलुन (2+2, 2+2, 2+2) अथवा 6 गुरु (2+2+2+2+2+2) प्रयोग करने से इसकी गेयता में जबरदस्त वृद्धि होती है। वैसे बहुत से शायरों ने कई और वज़्नों में भी इस विधा को कहा है, जोकि बिलकुल जायज़ भी माना गया। तो कुल मिलकर एक बात तो सामने उभर कर आती है कि तीनों पदों का वज़न सामान हो और पद गुर+गुरु से समाप्त होना चाहिए ताकि रवानी निर्बाध रहे। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 1, 2012 at 10:51pm

अपलोड  कर दी सीमा जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय जज़्बातों से लबरेज़ अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। मतले पर अच्छी चर्चा हो रही…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"//मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक अलग तह बन के रहती है// मगर.. मलाई अपने आप कभी दूध से अलग नहीं होती, जैसे…"
5 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 179 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"बिरह में किस को बताएं उदास हैं कितने किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितने सादर "
8 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"सादर नमन सर "
9 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi updated their profile
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब.दूध और मलाई दिखने को साथ दीखते हैं लेकिन मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक…"
14 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. लक्षमण धामी जी "
14 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय, बृजेश कुमार 'ब्रज' जी, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
16 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, एक साँस में पढ़ने लायक़ उम्दा ग़ज़ल हुई है, मुबारकबाद। सभी…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आपने जो सुधार किया है, वह उचित है, भाई बृजेश जी।  किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितनेख़मोश रात…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"इतने वर्षों में आपने ओबीओ पर यही सीखा-समझा है, आदरणीय, 'मंच आपका, निर्णय आपके'…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service