बावरिया हो भागती, सजनी ज्यों पिय ओर l
दीवानी मीरा बनी, थाम कन्हैया डोर ll
थाम कन्हैया डोर, प्रेम में सुध बुध हारी l
मोहबंध सब त्याग, पुकारूँ बस गिरधारी ll
प्राण भक्ति में लीन, ओढ़ चूनर केसरिया l
प्रभु संग मधुर मिलन, हुई जोगन बावरिया ll
*********************
Comment
bahoot khoob dr.prachi ji deewani mera mein may khoob anurag jalak raha hai...naman hai.
आदरणीया सीमा जी , आपका सराहना हमेशा अच्छा लिखने को प्रेरित करता है, आपको यह कुण्डलिया रूचि यह जान कर संतोष हुआ है.
मुझे रोला छंद के विषम चरण के अंत के बारे में कोई विशिष्ट ज्ञान नहीं था, पर, अभी आदरणीय अम्बरीश जी द्वारा रोला छंद : एक परिचय का अंश पढ़ा, जो इस प्रकार है :
रोले की प्रत्येक पंक्ति के मध्य में ११ मात्रा की यति पर प्रायः गुरु लघु [२१] या लघु लघु लघु [१११] तथा पंक्ति के अंत में गुरु गुरु [२२] / लघु लघु गुरु [११२] या लघु लघु लघु लघु [११११] का उपयोग किया गया है ! परन्तु इसके अंत में दो गुरु होना ही श्रेयस्कर है
http://www.openbooksonline.com/group/chhand/forum/topics/5170231:To...
जिस पंक्ति के विषम चरण को आपने इंगित किया है, मुझे भी वहां प्रवाह रूकता सा लग रहा है, कृपया इस हेतु कुछ सुधार सुझाएँ . सादर.
थाम कन्हैया डोर, प्रेम में सुध बुध हारी l
मोहबंध सब त्याग, पुकारूँ बस गिरधारी ll......बहुत प्यारी कुण्डलिया प्राची
प्रभु संग मधुर मिलन, हुई जोगन बावरिया ll...बस इस पंक्ति के सन्दर्भ में यह कहूंगी रोला के विषम चरण का अंत दीर्घ -लघु होता है मुझे लगता है मिलन लघु-दीर्घ होरहा है
हाँ प्राची जी आप सही कह रही हैं अब स्पष्ट हो गया बहुत बहुत शुक्रिया स्पष्ट करने के लिए
आदरणीया राजेश कुमारी जी ,
यही प्रश्न मैंने आदरणीय गुरुदेव संजीव वर्मा सलिल जी से किया था...
आप कन्हैया को बोल कर देखें .. क पर आधा न का भार नहीं आ रहा है, इसलिए इसकी मात्रा ५ ही होगी, जैसा कि मैंने सीखा.
सादर
वाह प्रिय प्राची जी क्या बात है दिल में भक्ति भाव भर दिया आपकी इस कुंडली ने बहुत प्यारी लिखी है एक बात कन्हैया में मेरे हिसाब से छह मात्रा होनी चाहिए आपने पांच की हैं क्या पांच सही हैं ?मेरा संशय दूर करें
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online