नये जीवन की शुरुआत करें हम
मृत्यु से ना कभी डरे हम
कर्मभूमि बना धरा को
स्थापित प्रमाण अपने करें हम
गीता उपदेश को ध्यान रख
समाहित धर्म कर्म को कर
ज्ञान बीज की उपज करें हम
कर्म को पूजा मान के अपनी
चेतना वृक्ष तैयार करें हम
आओ नए जीवन की शुरुआत करें हम
आसक्त ना हो भौतिक जगत से
अपने अंतर्मन से ध्यान धरे हम
कौन हूँ मैं, कहा से आया
किस मनसा से जग में आया
क्या खोया, और क्या कमाया
मूल्यांकन कर इन प्रश्नों का
आत्म ज्योति का ध्यान करें हम
भाग्य लेखा बदल के यारा
महान पुरुषो में नाम करें हम
क्या तेरा और क्या मेरा
क्या लाया था जो दुखित हुआ
जो भी पाया यही से पाया
फिर यही छोड़ के जायेगा
बंद मुट्टी से आया था
और हाथ पसारे जायेगा
समर्पण कर स्वयं को प्रभु
श्रद्धा का निर्माण करें हम
तोड़ के जीवनचक्र के बंधन
मोक्ष का द्वार तैयार करें हम
हर वक़्त तू होता जग में
रूप बदल, स्वरूप बदल
पूर्ति कर हर कर्तव्य की अपने
छोड़ पुरातन शरीर को मानव
नव जीवन फिर पायेगा
हर जीवन में धर्म निभा
फिर जन्म से मुक्ति पायेगा
क्या सही है क्या गलत
क्या पुण्य है क्या पाप है
ये सोच व्यर्थ, समय ना
इसमें करें हम
मुक्त हो इस जन्म मरण से
दिव्य ज्ञान की खोज करें हम
नाश कर, विनाश कर
इन्द्रिय अपनी विजित करें हम
समर्पित कर हर कर्म अकर्म को
शिव शक्ति का ध्यान करें हम
विराट रूप को बसा के हृदय
प्रेमश्वर का गुणगान करें हम
Comment
रचना प्रस्तुति हेतु बधाई, भाई फूल सिंहजी. इस रचना को आपने धार्मिक ग्रुप में पोस्ट किया होता तो इसकी महत्ता विशिष्ट हो जाती.
सादर
ब्रह्म बोध के मार्ग पर चलते साधक (मुमुक्षु) के लिए यह मार्ग हर क्षण नया जीवन ही है...इस अभिव्यक्ति के आधार चिंतन हेतु साधुवाद. सादर.
राजेश कुमारी जी प्रणाम.........
आपका हार्दिक अभिनन्दन........
फूल सिंह
बहुत बढ़िया आध्यात्मिक भावों से ओतप्रोत रचना जीवन के सार पर प्रकाश डालती बहुत बहुत बधाई फूल सिंह जी
nice one...lage raho munna bhai...
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