For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उम्र की दौड़ में हम बदल जाते हैं

वक्त की ठोकरों से संभल जाते हैं l

चाँद-तारों की हसरत है जिनको नहीं    

सूखी रोटी खुशी से निगल जाते हैं l

कूड़े-कर्कट में पाया हुआ जो मिला

उन खिलौनों से ही वो बहल जाते हैं l

हैं जहाँ में बहुत जिनमें है वो हवस   

जो भी देखा उसी पर मचल जाते हैं l

बिन किसी बात हम उनको खलने लगें

इस दुनिया में ऐसे भी मिल जाते हैं l      

राजे-दिल खोलो जिसको अपना समझ  

मीठे लफ़्ज़ों से अपने वो छल जाते हैं l  

मजलिसों में भी जब होने लगती बहस    

बिन सबब जूते लोगों के चल जाते हैं l

अब ये जमाना भरोसे के काबिल नहीं

कुछ वारदातों से दिल भी दहल जाते हैं l

-शन्नो अग्रवाल

Views: 385

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shanno Aggarwal on November 21, 2012 at 8:04pm

शालिनी जी, सूर्या बाली जी एवं नादिर खान जी, मेरी गज़ल पसंद करने के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया.  

Comment by नादिर ख़ान on November 21, 2012 at 3:42pm

हर शेर खरा सोना है,कुछ रचनाओं को बार बार पथने को मन  करता है

ये रचना भी उन्ही में से एक है ।

लाजवाब गज़ल ....

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on November 20, 2012 at 11:08am

शन्नो जी सादर नमस्कार ! बहुत ही सुंदर ग़ज़ल काही है आपने। पढ़ कर मज़ा आ गया...और ये शेर तो हासिले ग़ज़ल  शेर है...

कूड़े-कर्कट में पाया हुआ जो मिला

उन खिलौनों से ही वो बहल जाते हैं l...

सच्चाई और दर्द बयान करता हुआ। 

दाद कुबूल करें !

Comment by shalini kaushik on November 20, 2012 at 1:14am

.बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति . बधाई

Comment by Shanno Aggarwal on November 20, 2012 at 1:14am

अशोक जी, रचना की सराहना के लिये आपका हार्दिक धन्यबाद.

Comment by Ashok Kumar Raktale on November 19, 2012 at 9:29pm

अब ये जमाना भरोसे के काबिल नहीं

कुछ वारदातों से दिल भी दहल जाते हैं l..........वाह!अ

बहुत सुन्दर भाव प्रदर्शित करती रचना के लिए सादर बधाई स्वीकारें आदरेया शन्नो अग्रवाल जी.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब जब मलाई लिख दिया गया है यानी किसी प्रोसेस से अलगाव तो हुआ ही है न..दूध…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
yesterday
Shabla Arora updated their profile
Monday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service