माँ तुझे सलाम |
वो चेहरा जो
शक्ति था मेरी ,
वो आवाज़ जो
थी भरती ऊर्जा मुझमें ,
वो ऊँगली जो
बढ़ी थी थाम आगे मैं ,
वो कदम जो
साथ रहते थे हरदम,
वो आँखें जो
दिखाती रोशनी मुझको ,
वो चेहरा
ख़ुशी में मेरी हँसता था ,
वो चेहरा
दुखों में मेरे रोता था ,
वो आवाज़
सही बातें ही बतलाती ,
वो आवाज़
गलत करने पर धमकाती ,
वो ऊँगली
बढाती कर्तव्य-पथ पर ,
वो ऊँगली
भटकने से थी बचाती ,
वो कदम
निष्कंटक राह बनाते ,
वो कदम
साथ मेरे बढ़ते जाते ,
वो आँखें
सदा थी नेह बरसाती ,
वो आँखें
सदा हित ही मेरा चाहती ,
मेरे जीवन के हर पहलू
संवारें जिसने बढ़ चढ़कर ,
चुनौती झेलने का गुर
सिखाया उससे खुद लड़कर ,
संभलना जीवन में हरदम
उन्होंने मुझको सिखलाया ,
सभी के काम तुम आना
मदद कर खुद था दिखलाया ,
वो मेरे सुख थे जो सारे
सभी से नाता गया है छूट ,
वो मेरी बगिया की माली
जननी गयी हैं मुझसे रूठ ,
गुणों की खान माँ को मैं
भला कैसे दूं श्रद्धांजली ,
ह्रदय की वेदना में बंध
कलम आगे न अब चली .
शालिनी कौशिक
[कौशल ]
Comment
aabhar dr.soorya bali ji ,lakshman ji ,v ashok ji.
शलिनी जी माँ को समर्पित सुंदर रचना । मान को इससे बेहतर श्रद्धांजलि और क्या हो सकती है।
बहुत बढ़िया
बधाई स्वीकार करें
माँ तुझे सलाम.
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