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रचना के भाव पसंद करने के लिए आपका आभार भाई श्री वीनस केसरी जी
सुन्दर भावाभिव्यक्ति
रचना के भाव पसंद करने पर आपका हार्दिक आभार श्री अरुण शर्मा 'अनंत' जी
डॉ प्राची जी, दोहे लिखने के विच्दर से ही प्रयास किया था पर बैठ नहीं पा रहे थे । रचना के भाव पसंद करने पर आपका हार्दिक आभार ।
आपका सुझाव अच्छा लगा घोटालों की भरमार ज्यादा ठीक रहेगा । तो पंक्तियों के माध्यम से आपकी
आदरणीय सर आज के अख़बारों की दशा का बहुत ही सुन्दर ढंग से वर्णन किया है बधाई स्वीकारें
आदरणीय लक्ष्मण जी,
इस रचना के भाव बहुत सुन्दर हैं.
लेकिन यदि आपने यह दोहा मान कर लिखे हैं तो यह दोहे बिलकुल नहीं हैं...
सादर.
आदरणीय लड़ीवाला जी
सादर प्रणाम, सामयिक विषय पर आपने बहुत सुन्दर दोहे लिखे हैं एक दो जगह मात्रा कम लगी.मगर दोहे अपने उद्देश्य को सार्थक कर रहे हैं.सादर.
घोटालो की करतार, जनता को भी भान
सम्पादक बैठे दुई, मांगे एक करोड,
पत्रकारिता भी मुई,लागत है बेजोड/
रचना के भावों को पसंद कर उत्साह वर्धन के लिए हार्दिक आभार भाई श्री संदीप कुमार पटेल जी
आपने टंकण त्रुटियों की ओर ध्यान दिलाकर लेखक धर्म निभाया है, उसके लिए भी धन्यवाद ।
रचना पसंद करने के लिए हार्दिक आभार आपका शालिनी कौशिक जी
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