For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इन जुगनू सी यादों पे जोर नहीं है  

गर्म अश्कों के बहने में शोर नहीं है l

 

किसी काफ़िर का होता नहीं ठिकाना

आज यहाँ है तो कल ठौर कहीं है l

 

दो बूँदे पीकर कभी प्यास ना बुझती             

प्यासे सहरे का दिखता छोर नहीं है l

 

मालों ने गाँव की है बदल दी दुनिया

अब छोटा सा दिखता स्टोर नहीं है l

 

हर बात में नुक्स निकालना है सहज  

करने को कुछ कहो तो जोर नहीं है l

-शन्नो अग्रवाल 

Views: 406

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shanno Aggarwal on December 17, 2012 at 3:37am

अशोक जी, आपकी सराहना के लिये आभारी हूँ. 

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 16, 2012 at 10:45pm

हर बात में नुक्स निकालना है सहज  

करने को कुछ कहो तो जोर नहीं है.....वाह बहुत सुन्दर पंक्तिया.

   सुन्दर रचना पर सादर बधाई स्वीकारें आदरेया शन्नो अग्रवाल जी.

Comment by Shanno Aggarwal on December 7, 2012 at 11:42pm

प्राची जी, रचना पसंद करने के लिये आपका हृदय से धन्यबाद. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 7, 2012 at 9:16am

आदरणीया शन्नो जी.

बहुत खूब कहा..

हर बात में नुक्स निकालना है सहज  

करने को कुछ कहो तो जोर नहीं है l..................सुन्दर भाव सामने आये है. हार्दिक बधाई 

Comment by Shanno Aggarwal on December 7, 2012 at 4:27am

अरुण शर्मा जी, महिमा जी, सौरभ जी, गणेश एवं वीनस जी...बहुत-बहुत शुक्रिया. रचना के प्रति आप सबकी सराहनीय अभिव्यक्ति के लिये हृदय से आभारी हूँ. ऐसी प्रेरणादायक टिप्पणियों से प्रोत्साहित होकर ही मेरी कलम कभी-कभार कुछ उकेरने का साहस कर पाती है.

@ गणेश, नुक्स भी निकालोगे तो मेरे भले के लिये ही, है ना ? :) कभी हो तो बताने में डरने की क्या बात :))...उससे तो रचना में सुधार ही होगा. 

Comment by वीनस केसरी on December 7, 2012 at 3:18am

क्या कहने वाह

यह पंक्तियाँ सबसे अधिक पसंद आईं .....

हर बात में नुक्स निकालना है सहज 
करने को कुछ कहो तो जोर नहीं है l


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 6, 2012 at 8:53pm

//हर बात में नुक्स निकालना है सहज  

करने को कुछ कहो तो जोर नहीं है l//

खुबसूरत भाव से सजी रचना , और अंत में दो पक्तियों को पढ़ने के बाद किसकी हिम्मत होगी जो नुक्स निकाले :-))))))))

आप तो बस बधाई स्वीकार करें आदरणीया |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 6, 2012 at 8:38pm

हर बात में नुक्स निकालना है सहज
करने को कुछ कहो तो जोर नहीं है ..   :-))))

सही बात, बिल्कुल सही बात !  भाव सुन्दरता से सामने आते हैं .

आदरणीया शन्नोजी,  रह-रह कर आप अपनी रचनाएँ पढ़ने देती हैं.

Comment by MAHIMA SHREE on December 6, 2012 at 4:03pm

दो बूँदे पीकर कभी प्यास ना बुझती             

प्यासे सहरे का दिखता छोर नहीं है l..

हर बात में नुक्स निकालना है सहज  

करने को कुछ कहो तो जोर नहीं है l......

बहुत ही बढ़िया .. आदरणीया बधाई स्वीकार करें

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 6, 2012 at 11:42am

बेहद उम्दा रचना है खास कर ये दो पंक्तियाँ तो लाजवाब हैं

मालों ने गाँव की है बदल दी दुनिया

अब छोटा सा दिखता स्टोर नहीं है l

 हर बात में नुक्स निकालना है सहज  

करने को कुछ कहो तो जोर नहीं है l

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अंतिम दो पदों में तुकांंत सुधार के साथ  _____ निवृत सेवा से हुए, अब निराली नौकरी,बाऊजी को चैन…"
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी _____ निवृत सेवा से हुए अब निराली नौकरी,बाऊजी को चैन से न बैठने दें पोतियाँ माँगतीं…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी * दादा जी  के संग  तो उमंग  और   खुशियाँ  हैं, किस्से…"
14 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++   देवों की है कर्म भूमि, भारत है धर्म भूमि, शिक्षा अपनी…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
Dec 16

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service