इन जुगनू सी यादों पे जोर नहीं है
गर्म अश्कों के बहने में शोर नहीं है l
किसी काफ़िर का होता नहीं ठिकाना
आज यहाँ है तो कल ठौर कहीं है l
दो बूँदे पीकर कभी प्यास ना बुझती
प्यासे सहरे का दिखता छोर नहीं है l
मालों ने गाँव की है बदल दी दुनिया
अब छोटा सा दिखता स्टोर नहीं है l
हर बात में नुक्स निकालना है सहज
करने को कुछ कहो तो जोर नहीं है l
-शन्नो अग्रवाल
Comment
अशोक जी, आपकी सराहना के लिये आभारी हूँ.
हर बात में नुक्स निकालना है सहज
करने को कुछ कहो तो जोर नहीं है.....वाह बहुत सुन्दर पंक्तिया.
सुन्दर रचना पर सादर बधाई स्वीकारें आदरेया शन्नो अग्रवाल जी.
प्राची जी, रचना पसंद करने के लिये आपका हृदय से धन्यबाद.
आदरणीया शन्नो जी.
बहुत खूब कहा..
हर बात में नुक्स निकालना है सहज
करने को कुछ कहो तो जोर नहीं है l..................सुन्दर भाव सामने आये है. हार्दिक बधाई
अरुण शर्मा जी, महिमा जी, सौरभ जी, गणेश एवं वीनस जी...बहुत-बहुत शुक्रिया. रचना के प्रति आप सबकी सराहनीय अभिव्यक्ति के लिये हृदय से आभारी हूँ. ऐसी प्रेरणादायक टिप्पणियों से प्रोत्साहित होकर ही मेरी कलम कभी-कभार कुछ उकेरने का साहस कर पाती है.
@ गणेश, नुक्स भी निकालोगे तो मेरे भले के लिये ही, है ना ? :) कभी हो तो बताने में डरने की क्या बात :))...उससे तो रचना में सुधार ही होगा.
क्या कहने वाह
यह पंक्तियाँ सबसे अधिक पसंद आईं .....
हर बात में नुक्स निकालना है सहज
करने को कुछ कहो तो जोर नहीं है l
//हर बात में नुक्स निकालना है सहज
करने को कुछ कहो तो जोर नहीं है l//
खुबसूरत भाव से सजी रचना , और अंत में दो पक्तियों को पढ़ने के बाद किसकी हिम्मत होगी जो नुक्स निकाले :-))))))))
आप तो बस बधाई स्वीकार करें आदरणीया |
हर बात में नुक्स निकालना है सहज
करने को कुछ कहो तो जोर नहीं है .. :-))))
सही बात, बिल्कुल सही बात ! भाव सुन्दरता से सामने आते हैं .
आदरणीया शन्नोजी, रह-रह कर आप अपनी रचनाएँ पढ़ने देती हैं.
दो बूँदे पीकर कभी प्यास ना बुझती
प्यासे सहरे का दिखता छोर नहीं है l..
हर बात में नुक्स निकालना है सहज
करने को कुछ कहो तो जोर नहीं है l......
बहुत ही बढ़िया .. आदरणीया बधाई स्वीकार करें
बेहद उम्दा रचना है खास कर ये दो पंक्तियाँ तो लाजवाब हैं
मालों ने गाँव की है बदल दी दुनिया
अब छोटा सा दिखता स्टोर नहीं है l
हर बात में नुक्स निकालना है सहज
करने को कुछ कहो तो जोर नहीं है l
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online