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उत्साहवर्धन एवं सराहना हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय रक्ताले साहब, स्नेह यूँ ही बनाये रखें |
लघुकथा को सराहने हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीया अन्वेषा अन्जुश्री |
जहां औरों का ईमान डगमगा जाए वहाँ ईमान अभी शेष है. सुन्दर लघुकथा पर सादर हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीय बाग़ी जी.
मानव इश की अनुपम कृति है ! कितनी तरह के स्वाभाव, कितने विचार, कितने आचार।।अच्छा लगा। लिखते रहे ! नमन
कथा के मूल भावों को समझने और सराहने हेतु आपका आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी |
डॉ साहब प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार, देह व्यवसाय सभी शौक से नहीं करते, बहुतों की मजबूरियां होती हैं, हो सकता है लैला मज़बूरी में या जबरदस्ती उस देह व्यवसाय में फंसी हो, देह मंडी नरक समान है , उस नरक में रह कर भी लैला अपने इमान को जिन्दा रखी है |
सराहना हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय कुशवाहा साहब |
आदरणीया रेखा जोशी जी, लघुकथा को सराहने और उत्साहवर्धन हेतु आपका बहुत बहुत धन्यवाद, स्नेह बनाये रखें ।
आदरणीय आलोक जी, क्या आप फेस बुक वाल पर डालने की बात कर रहे हैं, यदि हां तो प्रत्येक रचना के नीचे फेस बुक शेयर लिंक होता है जिसे आप क्लिक कर फेस बुक पर शेयर कर सकते हैं ।
आशीर्वाद हेतु आभार आदरणीय लडिवाला जी ।
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