या फिर सागर मंथन होगा ???
बात सत्य लगती खारी जब
गरल उगलते नर नारी तब
छुप कर बैठे विष धारी सब
इस पर शिव से चिंतन होगा
या फिर सागर मंथन होगा ???
कितना किसको तुमने बांटा
सुख की माला दुःख का काँटा
नमक दाल और चावल आटा
पास किसी के अंकन होगा
या फिर सागर मंथन होगा ???..................
संदीप पटेल "दीप"
Comment
आदरणीय वीनस सर जी ,आदरणीय जवाहर लाल सर जी ,,आदरणीय अनंत भाई जी सादर प्रणाम
आपने इस गीत को पसंद किया और मेरा उत्साह वर्धन किया मैं आपका ह्रदय से आभारी हूँ
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
आदरणीय संदीप जी, सादर अभिवादन!
फिर से सागर मंथन ही जरूरी है तभी अमृत और कामधेनु की प्राप्ति होगी!
शानदार है भाई संदीप जी
मात्र दो बंद के कारण माहौल बनते बनते तक गीत खत्म हो गया इसमें कम से कम दो बंद और जोड़ें ....
वाह संदीप भाई भावपूर्ण प्रस्तुति
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