मेरी चाहत की दुनिया आ के फिर संवार दो
ठिठुरती शीत में सिमटी हुई सी रात है
अकेलेपन का गम ये इश्क की सौगात है
विरह ये लग रहा जैसे हृदय आघात है
वक़्त के सामने मेरी भी क्या औकात है
प्रिये तडपाओ न अब और जरा प्यार दो
मेरी चाहत की दुनिया आ के फिर संवार दो
सुबह है शबनमी प्यारी गुलाबी शाम है
हवा के हाथ में कोई तिलिस्मी जाम है
युगल स्वक्छंद फिरते दे रहे पयाम हैं
इश्क करते रहो ये आशिकों का काम है
प्रिये मेरे गले को बाहों का तुम हार दो
मेरी चाहत की दुनिया आ के फिर संवार दो
सूर्य धूमिल हुआ है गुनगुनाती धूप है
पूर्ण योवन से भरा प्रकृति का ये रूप है
खिले हैं मन में आज प्रेम के कुछ पुष्प फिर
नहीं उपमा कोई रंग ये अनूप है
प्रिये दिल के खालीपन को आज मार दो
मेरी चाहत की दुनिया आ के फिर संवार दो
तुम्हे न खो दूं कभी दिल में एक आह है
सिर्फ और सिर्फ तुम्हे पाने की ही चाह है
कदम बढ़ा चुका हूँ इश्क के खातिर फिर मैं
एक मंजिल है मेरी और एक राह है
प्रिये दो लफ्ज बोल प्रेम का उपहार दो
मेरी चाहत की दुनिया आ के फिर संवार दो
संदीप पटेल "दीप"
Comment
आदरणीय म्रदु जी , आदरणीया डॉ प्राची जी सादर प्रणाम
आपने रचना को पढ़ लेखन पर अपनी कीमती प्रतिक्रिया दी मन को एक सुखद अनुभूति हुई है]
ये स्नेह यूँ ही बनाये रखिये सादर आभार आपका
आदरणीय गुरुदेव सादर प्रणाम
आपके द्वारा दी गयी प्रतिक्रिया निश्चित तौर से मेरे लेखन में औषधि स्वरूप है
संभवतः लेखन में भटकाव आपको दिखा होगा, उसकी दिशा बदली हुई लगी होगी
इसीलिए आपने मेरे भटकाव को रोकते हुए अपने मार्ग में प्रवाहित होने का
इशारा किया है
क्यूंकि लिखना केवल स्वयं के लिए नहीं अपितु सकल समाज के लिए होता है
और ये भी के यदि आप अच्छा लिख रहे हैं तो फिर कोशिश कीजिये और अच्छा करने की
रचनाओं का स्तर न गिरने पाए
गुरुदेव शायद मैं कुछ ज्यादा ही जल्दबाजी कर रहा हूँ संभवतः अगले प्रयास
में आपको कम से कम त्रुटियाँ मिलेंगी
अपना स्नेह और आशीष यूँ ही बनाये रखिये सादर
और कुछ इसी तरह मार्गदर्शन करके कमजोर लेखन में भी अपनी औषधि तुल्य
प्रतिक्रिया दे कर मुझे धन्य करते रहें
सादर प्रणाम गुरदेव
गीत में भावाभियक्ति पाठक को अनवरत बांधे रखने का प्रयास रख रही है, हार्दिक बधाई स्वीकार करें.
संदीप जी आपकी रचनाओं में वाह! फेक्टर जब होता है तो जबरदस्त होता है, लेकिन यह रचना आपकी रचनाशीलता के मानकों से काफी पीछे है. इस अभिव्यक्ति में प्रवाह और माधुर्य मुझे गुम लगा. भाव तो सुन्दर हैं, लेकिन आपकी रचनाओं वाला वाह फेक्टर नहीं ढून्ढ पाई. सादर.
संदीपजी, रचनाधर्मिता के संबन्ध में आपसे कुछ नहीं कहना क्यों कि आप स्वयं सीखने और तदनुरूप रचने का अपने लिए मानक बना चुके हैं. आपके प्रयासों में आशाजनक विश्वास और सुधार इस मंच पर सभी पाठकों के लिए हर्ष और आश्वस्ति का विषय रहा है.
हम क्या लिखते हैं के साथ-साथ हम क्यों लिखते हैं संलग्न है. फिर आता है हम कैसे लिखते हैं. आपसे इन विन्दुओं पर बात करते भी असहज हो रहा हूँ, फिरभी कह रहा हूँ, क्यों ? प्रतिक्रियाएँ तक शब्दमूलक होती जा रही हैं.. ’वाह’, ’बेजोड़’, ’अभिभूत’ या ’सुन्दर’ आदि.
अब बताइये, आप भी यदि ऐसे में ऐसी ही प्रविष्टियाँ डालने लगे तो फिर क्या संदेश जायेगा ? यह सही है, रचना कोई हो बेकार नहीं होती, लेकिन रचनाएँ अलग अवश्य होती हैं. जिसकी आपसे अपेक्षा है. या, आपभी इन वाहवाहियों के आकांक्षी हो रहे हैं --’बहुत सुन्दर रचना’, ’भावपूर्ण रचना’, ’गुनगुनाने लायक रचना’.. देखिये हमने भी तीन-तीन विशेषण दे दिये.. खुश रहिये .. आदि आदि !
सधन्यवाद.
सुन्दर गीत मित्र संदीप गुनगुनाने में मज़ा आया बधाई स्वीकारें
आदरणीय अजय सर जी , आदरणीय अविनाश सर जी , आदरणीया सुमन जी सादर प्रणाम
आपने रचना को पढ़ा मान दिया और मेरा उत्साहवर्धन किया इसके लिए मैं तहे दिल; से आभारी हूँ
स्नेह यूँ ही बनाए रखिये
आदरणीय गणेश बागी सर जी सादर प्रणाम
ये गीत मैंने पैरोडी की तरह नहीं लिखा है
किन्तु आपको पसंद आया मुझे ख़ुशी हुई
आपका बहुत बहुत शुक्रिया और सादर आभार स्नेह यूँ ही बनाऐ रखिये सादर
मेरी तमन्नाओं की तक़दीर तुम संवार दो
प्यासी है ज़िंदगी और मुझे प्यार दो.....
सुन्दर पैरोडी |
bahut pyaaree kavitaa hai,,,bhav bahut hi sunder hain
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online