For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ग़ज़ल"गर खराबी है तो ये सिस्टम बदलना चाहिए

==========ग़ज़ल============

आ गया है वक़्त सबको साथ चलना चाहिए
दोस्तों दिल में अमन का दीप जलना चाहिए

खून की होली, धमाके, रेप, हत्या देख कर
जम चुका बर्फ़ाब सा ये दिल पिघलना चाहिए

मात देने मुल्क में पसरे हुए आतंक को 
बाँध कर सर पे कफ़न घर से निकलना चाहिए

रस्म ऐसी झेलते रहने में बोलो क्या रखा
गर खराबी है तो ये सिस्टम बदलना चाहिए

मुल्क की सूरत बदल डालोगे इक दिन है यकीं 
शर्त है बच्चों के माफिक दिल मचलना चाहिए 

मंजिले मक़सूद पाना चाहते हो तुम अगर
हर घडी आँखों में उसका ख्वाब पलना चाहिए

सर उठा कर चल सकोगे आप भी रख आबरू 
हौशलों का ये उगा सूरज न ढलना चाहिए

मानते हो सब है जायज इश्क में औ जंग में 
"दीप" तो फिर लोमड़ी की चाल चलना चाहिए  

संदीप  पटेल  " दीप"

Views: 626

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 22, 2012 at 4:01pm

aadarneey veenas sir ji bahut bahut dhanyvaad thoda aur paka kar dekhunga yadi kuchh aur achha ho saka to wahi post karunga

apna sneh yun hi banaye rakhiye saadar

Comment by वीनस केसरी on December 19, 2012 at 1:00am

जी पहले से बहुत बेहतर है
हौशलों को हौसलों कर लीजिए

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 18, 2012 at 3:49pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी  बहुत बहुत शुक्रिया सहित सादर आभार
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये अनुज पर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 17, 2012 at 5:39pm

प्रिय संदीप बहुत अच्छी प्रवाह मयी उन्नत भाव युक्त ग़ज़ल कही है दाद कबूलें 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 17, 2012 at 4:17pm

आदरणीय अजय खरे सर जी सादर प्रणाम
इस हौसलाफजाई के लिए हृदय से शुक्रिया और सादर आभार
स्नेह यों ही बनाये रखिये

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 17, 2012 at 4:11pm

आदरणीय वीनस सर जी सादर प्रणाम 
आपके कहे अनुसार सुधार किया है
गौर फरमाइए

कह दिया अंधे को अँधा इस गली में गर तो फिर 
बाँध कर सर पे कफ़न घर से निकलना चाहिए

सर उठा कर चल सकोगे आप भी रख आबरू 
हौशलों का ये चढ़ा सूरज न ढलना चाहिए

क्या अब कुछ बात स्पष्ट हो रही है तो फिर में इसे ग़ज़ल रखूं

आपका बहुत बहुत आभार

Comment by Dr.Ajay Khare on December 17, 2012 at 4:09pm

oj se bhari rachna system kse aapki sikayat nisandeh kabiley tareef he badhai

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 17, 2012 at 4:05pm

आदरणीय वीनस सर जी , आदरणीय अजय सर जी , आदरणीय  मृदु भाई , आदरणीय अनंत भाई, आदरणीया डॉ प्राची जी सादर प्रणाम
आप सभी से इस ग़ज़ल पर दाद पा कर धन्य हुआ
इस हौशालाफ्जाई के लिए आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया
एय स्नेह यूँ ही बनाये रखिये सादर आभार

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 17, 2012 at 12:32pm

वाह वाह वाह संदीप भाई जोश और तेवर देती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने दिली दाद कुबूल करें

Comment by वीनस केसरी on December 17, 2012 at 2:48am

शानदार ग़ज़ल और शानदार तेवर के लिए बधाई स्वीकारें

देखते ही देखते आपने जो अपनी एक छाप विकसित कर ली है वह स्पष्ट रूप से इस ग़ज़ल के हर शेअर में दिख रही है
यह ग़ज़ल दुष्यंत की एक सर्वाधिक प्रख्यात ग़ज़ल के समानांतर चरती रही और अंत तक विचार में साम्यता रही
कहन में एक जरूरी अंतर बना रहा जो आपके लिए विशेष बधाई की बात है

एक दो शब्द को देशज वज्न पर बांधा गया है जिस पर ध्यान आकर्षित होता है परन्तु हिन्दी मंचों पर स्वीकार्य है इसलिए कोई विशेष चिंता का विषय नहीं है

मात देने मुल्क में पसरे हुए आतंक को
इस मिसरे को दुरुस्त कर लें बात पूरी नहीं हो पा रही है... गहरा अटकाव है ,,,

हौशलों का ये उगा....
में  ये उगा शब्द भर्ती का है

बाकी तो भाई जिंदाबाद ग़ज़ल है
पुनः बधाई स्वीकारें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
Saturday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service