==========ग़ज़ल============
आ गया है वक़्त सबको साथ चलना चाहिए
दोस्तों दिल में अमन का दीप जलना चाहिए
खून की होली, धमाके, रेप, हत्या देख कर
जम चुका बर्फ़ाब सा ये दिल पिघलना चाहिए
मात देने मुल्क में पसरे हुए आतंक को
बाँध कर सर पे कफ़न घर से निकलना चाहिए
रस्म ऐसी झेलते रहने में बोलो क्या रखा
गर खराबी है तो ये सिस्टम बदलना चाहिए
मुल्क की सूरत बदल डालोगे इक दिन है यकीं
शर्त है बच्चों के माफिक दिल मचलना चाहिए
मंजिले मक़सूद पाना चाहते हो तुम अगर
हर घडी आँखों में उसका ख्वाब पलना चाहिए
सर उठा कर चल सकोगे आप भी रख आबरू
हौशलों का ये उगा सूरज न ढलना चाहिए
मानते हो सब है जायज इश्क में औ जंग में
"दीप" तो फिर लोमड़ी की चाल चलना चाहिए
संदीप पटेल " दीप"
Comment
aadarneey veenas sir ji bahut bahut dhanyvaad thoda aur paka kar dekhunga yadi kuchh aur achha ho saka to wahi post karunga
apna sneh yun hi banaye rakhiye saadar
जी पहले से बहुत बेहतर है
हौशलों को हौसलों कर लीजिए
आदरणीया राजेश कुमारी जी बहुत बहुत शुक्रिया सहित सादर आभार
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये अनुज पर
प्रिय संदीप बहुत अच्छी प्रवाह मयी उन्नत भाव युक्त ग़ज़ल कही है दाद कबूलें
आदरणीय अजय खरे सर जी सादर प्रणाम
इस हौसलाफजाई के लिए हृदय से शुक्रिया और सादर आभार
स्नेह यों ही बनाये रखिये
आदरणीय वीनस सर जी सादर प्रणाम
आपके कहे अनुसार सुधार किया है
गौर फरमाइए
कह दिया अंधे को अँधा इस गली में गर तो फिर
बाँध कर सर पे कफ़न घर से निकलना चाहिए
सर उठा कर चल सकोगे आप भी रख आबरू
हौशलों का ये चढ़ा सूरज न ढलना चाहिए
क्या अब कुछ बात स्पष्ट हो रही है तो फिर में इसे ग़ज़ल रखूं
आपका बहुत बहुत आभार
oj se bhari rachna system kse aapki sikayat nisandeh kabiley tareef he badhai
आदरणीय वीनस सर जी , आदरणीय अजय सर जी , आदरणीय मृदु भाई , आदरणीय अनंत भाई, आदरणीया डॉ प्राची जी सादर प्रणाम
आप सभी से इस ग़ज़ल पर दाद पा कर धन्य हुआ
इस हौशालाफ्जाई के लिए आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया
एय स्नेह यूँ ही बनाये रखिये सादर आभार
वाह वाह वाह संदीप भाई जोश और तेवर देती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने दिली दाद कुबूल करें
शानदार ग़ज़ल और शानदार तेवर के लिए बधाई स्वीकारें
देखते ही देखते आपने जो अपनी एक छाप विकसित कर ली है वह स्पष्ट रूप से इस ग़ज़ल के हर शेअर में दिख रही है
यह ग़ज़ल दुष्यंत की एक सर्वाधिक प्रख्यात ग़ज़ल के समानांतर चरती रही और अंत तक विचार में साम्यता रही
कहन में एक जरूरी अंतर बना रहा जो आपके लिए विशेष बधाई की बात है
एक दो शब्द को देशज वज्न पर बांधा गया है जिस पर ध्यान आकर्षित होता है परन्तु हिन्दी मंचों पर स्वीकार्य है इसलिए कोई विशेष चिंता का विषय नहीं है
मात देने मुल्क में पसरे हुए आतंक को
इस मिसरे को दुरुस्त कर लें बात पूरी नहीं हो पा रही है... गहरा अटकाव है ,,,
हौशलों का ये उगा....
में ये उगा शब्द भर्ती का है
बाकी तो भाई जिंदाबाद ग़ज़ल है
पुनः बधाई स्वीकारें
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