For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्यूँ सड़क पर बीनते हो पन्नियाँ


हास्य कहाँ कहाँ से निकलता है मुझे स्वयं यकीन नहीं होता

अब देखिये

सेठ जी ने सड़क पे पन्नी बीनते बच्चे से संवेदना भरे स्वर में पूछा

क्यूँ सड़क पर बीनते हो पन्नियाँ
मिल नहीं पाती है जब चवन्नियाँ
काम कर लो घर पे मेरे तुम अगर
रोज मिल जाएँगी कुछ अठन्नियां

लड़का बोला

जेब से सबकी चुरा चवन्नियां
हमको दोगे आप कुछ अठन्नियां
चोर के घर काम करना पाप है
उससे बेहतर है उठाना पन्नियाँ

आप भी मेहनत करो अब सेठ जी
कुछ तो जाएगा पिचक ये पेट भी
लूटने के काम कुछ तो कम करो
रेट के अब साथ चिपका वेट भी

जिन्दगी जीने की ये ही रीत है
सोच लो के डर के आगे जीत है
मतलबी दुनिया हुई है अब यहाँ
पैसा ही माँ बाप सबका मीत है

इतनी जिल्लत झेल

तिलमिला कर सेठ घर को चल दिए
बच्चे ने तो होंठ उनके सिल दिए
सेठ सोचे इसको कैसे ये पता
गाँव के लोगों को इंग्लिश बिल दिए

Views: 456

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 25, 2012 at 6:49pm

आदरणीय संदीप जी बहुत सुन्दर प्रयास सेठ जी कि बोलती बंद करने के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 18, 2012 at 3:54pm

आदरणीय लक्ष्मण सर जी , आदरणीया सीमा जी , आदरणीया डॉ प्राची जी , आदरणीया सुमन जी , आदरणीया अन्वेषा जी , सादर प्रणाम सभी आप सभी का ह्रदय की गहराइयों से धन्यवाद और आभार
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
आदरणीया सीमा जी , आदरणीया प्राची जी मैं पूर्ण प्रयास करूँगा अगली रचना में कम से कम त्रुटियाँ रहें और उनका स्तर भी ठीक रहे


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 18, 2012 at 10:03am

हास्य पर बहुत सुन्दर प्रयास संदीप जी, हार्दिक बधाई  , सिर्फ अन्तिम बंद थोडा कमज़ोर पड़ रहा है... मैं आदरणीय सीमा जी से सहमत हूँ .

Comment by seema agrawal on December 17, 2012 at 8:10pm

संदीप जी एक अच्छे विचार से कार्य शुरू हुआ पर जब ख़त्म हुआ तो अस्पष्टता रह गयी अब आप से तो इतना कह ही सकती हूँ न की रचना पोस्ट करने में जल्दबाजी मत करिये जो स्तर आप अपने लिए निश्चित कर चुके हैं उसकी ही अपेक्षा आपसे हमेशा रहेगी अब 

शुभकामनाएं 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 17, 2012 at 7:20pm
सुन्दर हास्य व्यंग द्वारा सन्देश अब बच्चे भी है सब सावचेत 
बधाई संदीप कुमार पटेल भाई जो सेठजी को किया सचेत ।
Comment by Anwesha Anjushree on December 17, 2012 at 5:44pm

achchha hai :)

Comment by SUMAN MISHRA on December 17, 2012 at 5:38pm

दर्शन ब्यंग्य,.....सुंदर कविता पटेल जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service