=========ग़ज़ल=========
बहरे जदीद मुसद्दस महजूफ मक्फूफ़ मुतव्वी
वजन - 212 2121 2112
बात करना बड़ी बड़ी ही सही
झूठ हो या सही सही ही सही
इश्क के हर कदम पे वादे हों
तब तो करना है दोस्ती ही सही
गरचे दुनिया को ख़ुशी मिलती है
करते रहना है दिल्लगी ही सही
अश्क के घूँट इश्क में जो मिलें
उम्र भर रखना तिश्नगी ही सही
शर्म से मत झुकाओ यूँ नज़रें
करने दो थोड़ी मयकशी ही सही
राह में चल रहे हो जब तक तुम
करना मंजिल से आशिकी ही सही
भूल मत जाना हम गरीबों को
याद करना कभी कभी ही सही
उसमें डसने का हर हुनर है निहाँ
आँख खोली अभी अभी ही सही
जाते जाते तो बंदगी कर "दीप"
थोड़ी सी वक़्त की कमी ही सही
संदीप पटेल "दीप"
Comment
प्रेरणादायक
बधाई सादर संदीप जी
बहुत सुन्दर सीखें दी हैं आपने अपनी ग़ज़ल में, इस सुन्दर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई प्रिय संदीप जी.
वाह संदीप भाई... सुन्दर गजल !
एक बार पुनः अच्छी ग़ज़ल, एक अलग ही कलेवर की रदीफ़ निभाया है भाई, दाद कुबूल करें ।
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