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जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के प्रथम दिन की संक्षिप्त रपट - लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला

24 जानवरी 2013 जयपुर; आज से "जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल" प्रारंभ हो गया । इस साहित्यिक कुम्भ में देश विदेश से आये साहित्यकार, साहित्य सागर में डुबकी लगा रहे है । प्रथम दिन धर्म गुरु दलाई लामा और महाश्वेता देवी के नामं रहा ।
ओ बी ओ के सुधि पाठको के लिए कुछ अंश प्रस्तुत है ...
दलाई लामा - तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा जिनके शिष्यों की गिनती करना चीन,भारत और तिब्बत व अन्य देशों में शायद संभव नहीं, पर वे स्वयं को भारत का चेला बताते है । उनके अनुसार भारत की सांस्कृतिक विरासत अद्भुत है जहाँ कई संस्कृतियाँ एक साथ रह सकतीहै । भ्रष्टाचार पर बोलते हुए उन्होंने कहा की भारत आस्थावानों का देश है । यहाँ लोग अर्थ जाने बिना ही श्लोक पढ़ते है । कई भ्रष्ट यह प्रार्थना करते है कि हमारा भ्रष्टाचार चलता रहे । धर्म निरपेक्षता का अर्थ धर्म का अनादर करना नहीं होना चाहिए । इसका अर्थ सब धर्मों का आदर करना होता है । 
महाश्वेता देवी - जीवन और साहित्य में सपने की अहमियत पर जोर देते हुए लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार महाश्वेता देवी ने कहा कि सपने देखना पहला मौलिक हक होना चाहिए । हमें ऐसा माहौल बनाना चाहिए कि कोई भी बाहरी शक्ति किसी के सपनों में हस्तक्षेप न कर सके । वे ऑफ वुमन आउटकास्ट्स प्रजेंट्स एंड रेबेल्स" सेशन में बोल रही थी ।
जावेद अख्तर - गीतकार जावेद अख्तर ने कहा कि हर धर्म औरतों के खिलाफ है । यही वजह है कि समाज में महिलाओ को सही जगह और अधिकार नहीं मिलते । विडम्बना यह है कि महिलाए ही बच्चों को धर्म सिखाती है नारी को इज्जत दिलानी है तो उन्हें धर्म से दूर रखा जाए । इस सेशन में फहमीदा ने "आसमान तपते हुए लोहे की मानिंद" कविता के जरिये पाकिस्तान के ट्राइबल एरिया में आधुनिक नारी की स्थिति दर्शाते हुए कहाँ कि भारत, पाकिस्तान और बंगलादेश में महिलाओं की स्थिति एक जैसी ही है । तीनो जगह पुरुष प्रधान समाज का एक सा ही नजरियाँ है । मेंसुरेशन के समय स्त्री को नापाक समझने वाले लोगो की निन्दा उन्होंने "वे एक जाने नापाक है" कविता के जरिये की । 
प्रसिद्ध बंगला सुनील गंगोपद्याय,शशि थरूर, जमील अहमद आदि कई हस्तियाँ ने प्रथम दिन शिरकत की और अपने अपने अनुभव बांटे ।
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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 26, 2013 at 3:06pm

नमस्कार आदरणीय बागीजी, जयपुर में रहते हुए ओ बी ओ के पाठको केलिए यह तो मेरा कर्तव्य था, जो कर पाया । दी 25.1.13 अर्थात दुसरे दिन की संक्षित रपट भी आप सब की सेवा में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है । रपट पड़ने के लिए हार्दिक आभार


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 26, 2013 at 2:47pm

जयपुर साहित्य सम्मेलन पर रपट प्रस्तुत करने हेतु आभार आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद लडिवाला जी ।

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