For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक बालक था | बालक बेरोजगार था | बहुत प्रयास किया, पर सही रोजगार नहीं मिला | अंततः थक हारकर वो जुगाड़ू बाबा की शरण में गया | उसने जुगाड़ू बाबा को अपना दुखड़ा सुनाया | उसका दुखड़ा सुनकर जुगाड़ू बाबा ने उसे दो मिर्च, एक काला धांगा और एक नींबू दिया और बोले इनको गूथ और बेच | बालक बोला- बाबा ! ये क्या रोजगार है ? बालक की बात सुनकर ऐसे मुस्कुराये जुगाड़ू बाबा, जैसे बालक ने कोइ बचकानी बतिया दी हो | वो बोले - बालक ! तू अभी अनुभवहीन है, तुझे इस संसार का कुछ नहीं पता है, इसीलिए ऐसी बेतुकी बात पूछ रहा है | इस महान हिपोक्रेट भारतवर्ष में सिर्फ तीन चीजें चलती हैं- नेतागिरी, दादागिरी और बाबागिरी | नेतागिरी और दादागिरी में तो फिर भी रिस्क है, लफड़ा होने, जेल जाने का डर है, पर बाबागिरी एकलौता ऐसा सोर्स ऑफ इनकम है, जहाँ बाईज्जत मोटी कमाई होती है | भक्त लोग चरण स्पर्श के साथ चढ़ावा भी चढ़ाते हैं, और साथ ही, बाबा लोगों को कोइ कुछ कह भी नहीं सकता | अगर किसीने कुछ कहने की हिम्मत की, तो भक्त लोग उसकी ऐसी वाट लगाते हैं कि आगे से वो कहना ही भूल जाता है | कुल मिलकर पूरा सेफ रास्ता है मोटी कमाई का | इसलिए हे बालक ! तू सभी सोच को त्याग और लग जा नींबू कि बाबागिरी में |

जुगाडू बाबा के इस उपदेश से बालक को कुछ अक्ल आई, वो बोला- बाबा, आपने मेरी आँखें खोल दी, मै समझ गया कि बाबागिरी सबसे बेहतर व्यापर है, सबसे अच्छी नौकरी है, और सबसे अच्छा पद भी बाबागिरी ही है | कुल मिलकर इस देश में मोटी कमाई का सबसे बेहतर साधन बाबागिरी ही है, पर बाबा एक संदेह है कि क्या नींबू की बाबागिरी चलेगी | बाबा बोले- कितनी बार कहूँ कि यहाँ सिर्फ बाबागिरी चलती है | नींबू हो या टमाटर, बाबागिरी जुड़ जाने पर सब चलेगा |

बालक जुगाड़ू बाबा का चरण-वंदन करके चला गया, और फिर, कुछ दिनों बाद, एकदिन एक और बाबा पैदा हुए | ये बाबा, लोगों को समस्या-समाधान हेतु नींबू और मिर्च, काले धांगे में गूथकर देते | किसी को घर के उत्तर में टांगना होता, तो किसी को पूरब में, और पते की बात तो ये है कि लोगों को इनसे लाभ भी पहुंचा, कतारें बढ़ाने लगीं और अब तो ये वास्तुशास्त्र के विशेषज्ञ कहे जाने लगे |

वर्षों बीत गए.....! बाबा अभी प्रत्यक्षतः एक छोटे से घर में रहते हैं, उसी छोटे से घर में उनके कई कोठियों और बैंक खातों के कागजात, एक छोटे से संदूक में अप्रत्यक्षतः रखे हैं और हाँ अब उनका एक नया नाम भी पड़ गया है- निबुहवा बाबा |

- पियूष द्विवेदी 'भारत'

Views: 535

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on January 30, 2013 at 10:38pm

धन्यवाद आदरणीय प्राची दी...!

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on January 30, 2013 at 10:37pm

धन्यवाद आदरणीय सौरभ जी, बाकी प्रयास जारी है, बस यूँ ही मार्गदर्शन देते रहें ! सादर !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 30, 2013 at 9:09pm

बहुत सुन्दर व्यंग ...बेरोजगार बालक से करोडपति निबुहवा बाबा तक  का सफ़र रोचक लगा... 

हार्दिक बधाई इस व्यंग लेख पर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 30, 2013 at 7:57pm

यह उचित है कि इस तरह के किसी अतिरेक पर व्यंग्य की ताव चली है. तथ्य को कथ्य का और सटीक संबल मिले. अभिव्यक्ति प्रवाह में है.

शुभेच्छाएँ.

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on January 30, 2013 at 6:46pm

धन्यवाद आदरणीय राजेश कुमारी जी... !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 30, 2013 at 6:45pm

और पढेलिखे अनपढ़ भी इनके चक्करों में पड़  जाते हैं ये सबसे दुखद बात है बधाई इस सामयिक मुद्दे पर लिखने हेतु 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
7 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
7 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service