१३-१४ साल के आसपास की उम्र होगी उसकी ! शायद कुछ अंडे चुराए थे उसने ! बस इसीलिए लोग उसे बेतहाशा पीट रहे थे ! कहीं से पुलिस को इत्तला हुई ! पुलिस पहुंची ! बहुत मशक्कत हुई, पर लोग उसे बख्शने को तैयार न थे ! आखिर पुलिस को लाठीचार्ज और हवाई फायर करना पड़ा ! दो-चार लोग घायल हुवे, पर उसे बचा लिया गया ! अगले दिन खबर थी, “जनता के रक्षक हुवे भक्षक” ये खबर खूब चली ! पुलिस ने इस खबर को देखा और अगले मामले में शांत रही ! कोई लाठीचार्ज, कोई हवाई फायर नही ! अगले दिन खबर थी, “पब्लिक की सरेआम गुण्डागर्दी, पुलिस बनी मूकदर्शक” खैर ! ये खबर भी खूब चली !
-पियुष द्विवेदी ‘भारत’
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
आपको कथा बेहतर लगी, ये जान के इसके प्रति काफी आश्वस्त हुवा ! बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सौरभ जी !
आपने कथा को सराहा, धन्यवाद आदरणीय अशोक भाई जी ...!
सही-सच्ची कर्तव्यनिष्ठा आज की भेड़चाल के कारण किस दुर्दशा को झेल रही है इसका बढिया प्रस्तुतिकरण हुआ है. पत्रकारिता के नाम पर जो हल्कापन तारी हुआ है वह कभी-कभी डरा भी देता है कि ऐसा दायित्व निर्वहन समाज का कौन सा भला कर रहा हैं ! जन-आक्रोश में भी बला की दिशाहीनता है.
एक अच्छी लघु कथा को साझा करने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद, पियुष भाईजी.
भाई पियूष द्विवेदी जी सादर, यही सच्चाई है. आज ही अखबार में खबर है लड़की को ससम्मान बुलाकर शिकायत लिखी गयी. कल की खबर थी लड़की ने टेलीफोन कर तंग करने की शिकायत की थी तो पुलिस ने कहा था - फोन ही तो किया है हाथ तो नहीं पकड़ा है.सादर.
धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण जी एवं आदरेया राजेश कुमारी जी !
पूछ कर देखो तो अपनी सफाई में हर पुलिस वाले के दिल की यही कहानी है जनता किसी भी तरह नहीं बक्श्ती ,हमारे देश के नेता भी यही कहते हैं जनता कुछ तो सुधरो ,बेचारों को जीने दो ,बहरहाल सच्चाई बयान करती इस लघु कथा हेतु बधाई पियूष जी
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