आगामी बसंत पंचमी पर 'सरस्वती पूजन' के आयोजन का कार्यक्रम है, उसीके उपलक्ष्य में इस वंदना की रचना किया हूँ ! सभी आदरणीयों से सादर निवेदन है कि कृपया इसके गुणों, दोषों से अवगत कराएं तथा आवश्यक प्रतीत होने पर उपयुक्त परिवर्तन भी सुझाएँ ! धन्यवाद !
(मौलिक व अप्रकाशित)
जय शारद माता, जग विख्याता, तुमको नमन हमारा !
हे विद्या देवी, सुर-नर सेवी, महिमा अगम अपारा !
चिर उज्जवल धारी, हंस सवारी, वीणा स्वर झंकारा !
हम अवगुण मारे, तनय तुम्हारे, तव दर करत पुकारा !
पंचमी बसंता, शुभ अत्यन्ता, तव मूरति रखवाते !
मूरति रखवाकर, तुम्हे बुलाकर, उत्सव मोद मनाते !
माँ मोद मनाकर, वंदन गाकर, प्रेम तुम्हारा पाते !
हम पूत तुम्हारे, नयन दुलारे, चरणन शीष नवाते !
तुम ज्ञान प्रदाती, सद्गुण दाती, हमपे कृपा करो माँ !
अज्ञान हमारा, कलुष विचारा, सर्वस्यामि हरो माँ !
विद्या की ज्योती, सद्गुण मोती, हममे आज भरो माँ !
हर नर के मन में, सर्व भुवन में, नित ही तुम विचरो माँ !
हे माँ ब्रह्माणी, वीणा पाणी, है अंतिम अभिलाषा !
हर मन हो निश्छल, कार्य सुमंगल, हो सद्धर्म प्रकाशा !
यह विनय तुम्हारी, मंगलकारी, इसमे करो निवासा !
जो भी ये गाए, तुमको पाए, है इतनी मम आशा !
-पियुष द्विवेदी ‘भारत’
Comment
शुक्रियाआ. मंजरी जी !
धन्यवाद आदरणीय राजेश कुमारी जी !
धन्यवाद आदरणीय सौरभ जी !
माँ शारदे कि सुंदर स्तुति हेतु बहुत बहुत बधाई,माँ शारदे की कृपा बनी रहे
अच्छी माँ वीणावादिनी की वंदना . बधाई।
माँ शारदा की सुन्दर प्रार्थना है. कथ्य के अनुरूप कुछ शब्द नियत कर लेने थे, जो दूसरी या तीसरी बार रचना को पढ़ते समय आपको समझ में आ गया होगा. शिल्प का निर्वहन यथासंभव उचित है.
बधाई
धन्यवाद संदीप भाई जी !
जय हो माँ भगवती शारदे की ...............हम सब पर कृपा करें माँ
बहुत सुन्दर वंदन
साधुवाद
जय माँ शारदे....!
" हर मन हो निश्छल, कार्य सुमंगल, हो सद्धर्म प्रकाशा ! "
जय हो माते सरस्वती शारदे |
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