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आप को मैं एफ बी पे पढता रहता हूँ आप उम्दा लिखते हैं और ये दोनों हि अभिव्यक्ति अद्भुत हैं
आदरणीय विजय सर जी सादर प्रणाम
इस प्रयोग को सराहने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रिया
ये स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
आदरणीया भावना जी सरहना हेतु बहुत बहुत आभार आपका
आदरणीय संदीप जी:
सपने किसके किससे कम हैं
सबके अपने अपने गम हैं
आपने इन दो पंक्तियों में ही बहुत-कुछ कह दिया है।
सारी रचना के लिए बधाई।
विजय निकोर
QAMAAL QAMAAL QAMAAL ............BAHUT SUNDAR ...ADBHUT GEYATAA....BADHAI ...!!
आदरणीय गुरुदेव सौरभ सर जी सादर प्रणाम
आपकी इस तरह प्रशंसा पाकर मन उमंग से फूला नहीं समा रहा है
लगा की शायद आज
हुई सहाय शारद अस मानू
आपके कहे गए सुझाव इन दोनों अशआरों में चार चाँद लगा रहे हैं
इनका भार दुगुना हुआ जा रहा है गुरुदेव
गुरुदेव अपना स्नहे और आशीष यूँ ही मुझ पर बनाये रखें
आदरणीय गुरुदेव क्षमा चाहता हूँ
अंतिम बिंदु में आपने कहा के ये इस मंच के लिए गौरव के क्षण है
यकीन मानिए और ऐसा साहित्यिक मंच और कोई हो ही नहीं सकता है
ये मेरे लिए गौरव की बात है के मैं इस मंच पे अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कर पाता हूँ
आदरणीया डॉ प्राची जी सादर प्रणाम
आपने प्रयास को सराहा और मेरा उत्साहवर्धन किया उसके लिए आपका ह्रदय से धन्यवाद और सादर आभार
इस प्रयोग की सफलता का श्रेय ओ बी ओ में उपस्थित मेरे गुरुदेव सौरभ सर और सभी अग्रजों और विज्ञों का निःस्वार्थ दिया गया ज्ञान और मनोबल को ही जाता है
मुझे गर्व है के मैं इस ओ बी ओ परिवार का हिससा हूँ
अपना स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
आदरणीया राजेश कुमारी जी सादर प्रणाम
सच कहा आपने ये माँ शारदे का आशीर्वाद ही है के हमें आज इतना स्नेह और आप विज्ञ जनों का मार्गदर्शन मिल रहा है
मुझे याद है के एक बार किसी ने मेरा मजाक उड़ाते हुए शारदा का औरस पुत्र कहा था
और कभी कभी लगता है के वो गलत नहीं था
ये स्नेह और आशीर्वाद यूँ ही बनाये रखिये मुझ पर
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