दोस्तों बहार के इस हसीन प्रथम सप्ताह पे पेशेखिदमत है इक ग़ज़ल
जवाँ दिलो में प्यार के, हसीन पल बहार के
दिलों में इक खुमार के, हसीन पल बहार के
नयी नयी हयात औ, खिलि खिली सी कायनात
हैं रौनक-ए-बज़ार के, हसीन पल बहार के
नज़र नज़र में है खुदा, महक रही है ये फजा
हैं नूर औ निखार के, हसीन पल बहार के
खुदी से एक जंग है , दिलों में इक उमंग है
हैं मौज में शुमार के , हसीन पल बहार के
कली कली है खिल रही, नज़र नज़र से मिल रही
नज़र पे ऐतबार के, हसीन पल बहार के
मधुर सी नोंक झोंक भी, नहीं है रोक टोक भी
दिलों के बस करार के, हसीन पल बहार के
हों पायलें रुनक झुनक, हों कंगनों से भी खनक
सजन के औ श्रृंगार के, हसीन पल बहार के
जिगर जिगर में आश है, मिलन की एक प्यास है
सनम के इंतज़ार के, हसीन पल बहार के
पवन खुनक सी चल रही, दिलों में आग जल रही
गुलाब के या खार के, हसीन पल बहार के
बुझो न"दीप"ना जलो, ये राह-ए-इश्क ना चलो
दे दर्द बेशुमार के, हसीन पल बहार के
संदीप पटेल "दीप"
Comment
आदरणीय अजय सर जी , आदरणीय अरुण सर जी , परम आदरणीय गुरुदेव सौरभ सर जी आपकी सरहाना पाकर कलम को बल मिला ये स्नेह और आशीर्वाद मुझ पर यूँ ही बनाये रखिये सादर आभार आप सभी का
वाह ! लगता है फगुनहट की शुरू हो गयी सुगबुगाहटों के आप अपने-अपने से हिस्सेदार हैं. ..! ..पढ़ते-पढ़ते खोता रहा !
बधाई-बधाई !
मौसम के अनुकूल रचना . इस अच्छी ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई श्री संदीप जी !!
SANDEEP KI BADI HI KHUSNUMA GAJAL HAI BADHAI
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