For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मिला राज्य सम्मान- (दोहे)

-लक्ष्मण लडीवाला

तामस सात्विक राजसी, तीनो ही अभिमान, 
रावण और कुम्भ करण, तामस राजस जान।

सात्विक मन से आदमी, करे प्रभु गुणगान,
देख विभीषण को जरा, वे इसके  प्रतिमान ।

कुम्भ करण सोता रहा, दिल में भरा प्रमाद, 
अहंकार था तामसी, जीवन भर अवसाद ।

राजसी अहंकार वश, आजाये अभिमान,
अभिमानी रावण बना,रह न सका सम्मान।

रावन वीर महान था, महा भक्त गुणवान,
राजसी अहंकार वश, बच न सका अभिमान।

सात्विक अहंकारी पर, प्रभु करते है अभिमान, 
सात्विक मन विभीषण को,मिला राज्य सम्मान।

-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला,जयपुर

Views: 748

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 20, 2013 at 12:04pm

आपको दोहे  के भाव भागए, आये,  यह जानकार हर्ष हुआ, हार्दिक आभार स्वीकारे विनीता शुक्ला जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 20, 2013 at 12:01pm

आपको दोहे पसंद आये, यह नेरा सौभग्य है, हार्दिक आभार मंजरी पाण्डेय जी 

Comment by Vinita Shukla on February 19, 2013 at 10:39pm

सुन्दर, सात्विक भावों से सजे दोहे. बधाई स्वीकार करें.

Comment by mrs manjari pandey on February 19, 2013 at 8:57pm

आदरणीय रक्ताले जी आभार। आपलोग रचना देख लेते हैं . यही बहुत है।

Comment by mrs manjari pandey on February 19, 2013 at 8:54pm

लक्ष्मण  प्रसाद जी  दोहे बहुत  अच्छे लगे  अति सुंदर बधाई।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 19, 2013 at 2:33pm
दोहे और उनके भाव पसंद कर उत्साह वर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीया राजेश जी,
"सात्विक" में संशय है, मेरा मत- कि मात्रा 5 होनी चाहिए,आपने 4 गिनी हैं हो सकता है मैं ग़लत हूँ बाकी विद्वद जन स्पष्...
"सात्विक" में मात्रा के बारे में विद्वजन का मार्गदर्शन अपेक्षित है -

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 19, 2013 at 2:21pm

बहुत ही उन्नत कोटि के भाव  हैं दोहों में हार्दिक बधाई आदरणीय 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 19, 2013 at 12:50pm

हार्दिक अबह्र डॉ अजय खरे जी, आपके अंतर्मन को रचना छू जाय यह मेरा सौभाग्य है । दिल से बधाई स्वीकारे

Comment by Dr.Ajay Khare on February 19, 2013 at 12:13pm

laxman ji sadar pranam aapke lekhan ka me kayal hu aapki lekhni se jo bhi nikalta hai antarman mai bhid jata hai badhai

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 19, 2013 at 10:49am

पुनः दिल से हार्दिक आभार श्री अशोक रक्ताले जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"पुनः आऊंगा माँ  ------------------ चलती रहेंगी साँसें तेरे गीत गुनगुनाऊंगा माँ , बूँद-बूँद…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"एक ग़ज़ल २२   २२   २२   २२   २२   …"
6 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"स्वागतम"
18 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
18 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service