For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बेबसी हंसने लगी ...

बातों से भी ये गम क्यूँ कम नही होते,

आंसुओ से दिल के कोने नम नही होते.

थी बहुत उम्मीद तो अपनों से इस दिल को कभी,

पर हमेशा साथ ये हमदम नही होते...

बेबसी हंसने लगी ख़ामोशी अब है गूंजती,

बंद कमरों में कभी कोई मौसम नही होते.

जहाँ ख़ुशी वहां खिलती मन की हर कली,

उन घरानों में क्या कभी मातम नही होते...                      

                 

प्यार है बस जहां रंजीश नही कोई कभी,

क्या कभी ऐसे दिलों में गम नही होते.

याद तो करते है हम उनको सदा ही रात दिन,

ख्वाब में उनके कभी क्या हम नही होते...

 

अब तो  भूख भी लगना भूल गई ,

और प्यास ने लगना छोड़ दिया.

हर दिन बना जीवन उपवास उनका,

क्या कभी ऐसों पर खुदा मेहरबान नही होते...

Views: 902

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Aarti Sharma on March 16, 2013 at 11:57pm

आदरणीय विजय भाई ...मेरी रचना पर पुनः टिपन्नी के लिए तहेदिल से शुक्रिया..जी बिलकुल भाई में जल्द ही एक और कविता लिख रही हु आशा है आपको पसंद आएगी..

Comment by vijay nikore on March 9, 2013 at 1:21pm

आदरणीया आरती जी:

 

इस कविता पर मैं पहले प्रतिक्रिया दे चुका था,

पर आज इसे पुन: पढ़ने पर कुछ और कहने को

मन किया।

 

बेबसी हंसने लगी ख़ामोशी अब है गूंजती,

बंद कमरों में कभी कोई मौसम नही होते.

जहाँ ख़ुशी वहां खिलती मन की हर कली,

उन घरानों में क्या कभी मातम नही होते..

 

आपकी इस कविता के मार्मिक भाव अप्रतिम हैं।

ऐसी ही और कविताओं की प्रतीक्षा में हूँ।

 

सादर,

विजय निकोर

 

 

 

 

Comment by Aarti Sharma on February 21, 2013 at 5:04pm

आपका तहेदिल से शुक्रिया डॉक्टर अजय जी..

Comment by Aarti Sharma on February 21, 2013 at 5:03pm

आपका हार्दिक धन्यवाद नादिर सर..

Comment by नादिर ख़ान on February 20, 2013 at 3:30pm

बेबसी हंसने लगी ख़ामोशी अब है गूंजती,

बंद कमरों में कभी कोई मौसम नही होते.....

याद तो करते है हम उनको सदा ही रात दिन,

ख्वाब में उनके कभी क्या हम नही होते...

 

बहुत खूब  कहा  आरती जी ....

Comment by Dr.Ajay Khare on February 20, 2013 at 3:00pm

ARTI JI RACHNA BAHUT SUNDER AND TOUCHING HAI BADHAI

Comment by Aarti Sharma on February 20, 2013 at 1:50am

आपका हार्दिक धन्यवाद अजय जी..

Comment by ajay yadav on February 19, 2013 at 11:33pm

 बहुत खूबसूरत  रचना ...बधाई ...|मैं कहना चाहूँगा कि -A chink in the wall is enough to see the world.

Comment by Aarti Sharma on February 19, 2013 at 12:01pm

आपका तहेदिल से धन्यवाद राजेश  मैंम ...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 19, 2013 at 11:46am

बेबसी हंसने लगी ख़ामोशी अब है गूंजती,

बंद कमरों में कभी कोई मौसम नही होते.

जहाँ ख़ुशी वहां खिलती मन की हर कली,

उन घरानों में क्या कभी मातम नही होते...---

बेबसी हंसने लगी ख़ामोशी अब है गूंजती,

बंद कमरों में कभी कोई मौसम नही होते.

जहाँ ख़ुशी वहां खिलती मन की हर कली,

उन घरानों में क्या कभी मातम नही होते...                      

         ये पंक्तियाँ बहुत सुंदर बन पड़ी हैं बहुत भाव पूर्ण रचना आरती जी बहुत बधाई 

                     

         

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service