आज बेमौत मर रहा होगा,
जो सवालों से डर रहा होगा ।
बाग़ की झुरमुटों में हलचल है,
नव युगल प्यार कर रहा होगा ।
अपने होने लगे हैं बेगाने,
कोई तो कान भर रहा होगा ।
खंडहर आज तक सलामत है
नींव कहती है घर रहा होगा ।
गुल छुपाने का फायदा क्या है,
बनके खुशबू बिखर रहा होगा ।
रौशनी हर कदम पे साथ रही,
"दीप" सा हमसफ़र रहा होगा ।
Comment
पुराने पड़ गये डर, फेंक दो तुम भी
ये कचरा आज बाहर फेंक दो तुम भी
यहाँ मासूम सपने जी नहीं पाते
इन्हें कुंकुम लगा कर फेंक दो तुम भी
संदीप तोमर जी क्या आप अधोलिखित नियम उपर्युक्त लिखी दुष्यन्त जी की गजल को उदाहरण बनाकर समझा सकते हैं ??
विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी ji आप खुद ही कह रहे है अधकचरी जानकारी। फिर क्या कहूँ
गजल लिखने में कुछ तरीके इस्तेमाल होते है जैसे अगर कोई शेर लघु मात्र से शुरू किया तो अगला शेर भी उसी मात्र से शुरू हो तो गजल सही है
आदरणीय भाई किशन जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
आदरणीया वेदिका जी सादर
आपकी सराहना और शुभकामनाएं सर आँखों
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये सादर आभार
आदरणीय भाई विन्ध्येश्वरी जी सादर
इस हौसलाफजाई के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया वन्धुवर
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
मुझे तो अच्छी लगी गजल ...
शुभकामनायें !
बाग़ की झुरमुटों में हलचल है,
नव युगल प्यार कर रहा होगा ।
शानदार शेर ...! शुभकामनायें !!
भाई संदीप तोमर जी!मेरी अधकचरी जानकारी के मुताबिक संदीप भाई की गजल एक मुकमम्ल गजल है।इसमें कफिया है-"अर",रदीफ है-"रहा होगा"।
आपको इसमें कफिया एवं रदीफ क्यों नहीं मिल रहा है या तो आप जाने या ईश्वर।
फिल्हाल संदीप कुमार पटेल भाई जी को हार्दिक बधाई।इन पंक्तियों के लिये विशेष रूप से-
//अपने होने लगे हैं बेगाने,
कोई तो कान भर रहा होगा ।
खँडहर वो ही हुआ करता है,
जो कभी एक घर रहा होगा ।
गुल छुपाने का फायदा क्या है,
बनके खुशबू बिखर रहा होगा ।//
आदरणीय संपादक महोदय जी आपका बहुत बहुत आभार
यदि कुछ गलती के बारे में पता चले तो अवश्य बताइयेगा सर जी ताकि हम यथा उचित सुधार कर सकें
ये स्नेह बनाये रखिये
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