For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैं महसूस करता हूँ

जब भी

अंदर तक बिखरा

तुम्हारे कदमों की आहट

फिर से समेट देती है

मेरा अंर्तमन

चेतनशून्य से

चैतन्यता लौट आती है

मेरे पास

तुम्हारा मुस्कराता चेहरा

मेरी आंखों के सामने होता है

                      - बृजेश नीरज

 

Views: 494

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on February 20, 2013 at 5:45pm

 Ashok Kumar Raktale ji,  आपका आभार! 

Comment by Ashok Kumar Raktale on February 19, 2013 at 11:31pm

सुन्दर रचना आदरणीय ब्रजेश नीरज जी बधाई स्वीकारें.

Comment by बृजेश नीरज on February 19, 2013 at 9:48pm

अरूण जी व सलिल जी, सादर आभार!

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on February 19, 2013 at 8:27pm

तुम्हारे कदमों की आहट
फिर से समेट देती है
मेरा अंर्तमन

बहुत सुन्दर..... 

Comment by Arun Sri on February 19, 2013 at 6:17pm

कुछ लोग होते ही ऐसे हैं ! दुर्बल क्षणों में सहारे की तरह ! सुन्दर भाव है रचना के !

Comment by बृजेश नीरज on February 19, 2013 at 6:13pm

आप सबका बहुत आभार!

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी के प्रश्न का उत्तर जहां तक मैं समझता हूं-

चेतनता
संज्ञा स्त्री० [सं०] चेतन का धर्म । चैतन्य । सज्ञानता ।

चैतन्यता
संज्ञा स्त्री० [हिं०] दे० 'चेतनता' 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 19, 2013 at 3:42pm

उद्विग्न मन की चैतन्यता को जोहती रचना के लिए बधाई.. .

चैतन्यता और चेतनता के मध्य क्या अंतर है ?

शुभं

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 19, 2013 at 2:06pm

यादे अहसास करा अंतर्मन को झकझोर देती है 

संक्षिप्त में सब कुछ बयां कर दिया,हार्दिक बधाई 
Comment by Meena Pathak on February 19, 2013 at 1:13pm

बहुत सुन्दर .. बधाई आदरणीय ब्रजेश जी 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 19, 2013 at 12:50pm

वाह वाह
सच है कुछ यादें इतनी हसीन होती है जो जीने के लिए उत्परेरक का कार्य करती हैं
बधाई हो सुंदर कम शब्दों मे अच्छी अभिव्यक्ति के लिए

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service